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विश्व डायबिटीज़ दिवस: गुणवत्तापरक देखभाल और जागरूकता प्रसार पर बल

इण्डोनेशिया के जयापुरा में एक स्वास्थ्यकर्मी महिला के रक्त में शुगर की जाँच करते हुए.
UNICEF/Shehzad Noorani
इण्डोनेशिया के जयापुरा में एक स्वास्थ्यकर्मी महिला के रक्त में शुगर की जाँच करते हुए.

विश्व डायबिटीज़ दिवस: गुणवत्तापरक देखभाल और जागरूकता प्रसार पर बल

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार, 14 नवम्बर, को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ (World Diabetes Day) के अवसर पर स्वास्थ्य व देखभाल कर्मियों, और डायबिटीज़ के साथ जीवन गुज़ार रहे आमजन के लिये, गुणवत्तापरक शिक्षा की सुलभता बढ़ाने का आग्रह किया है, ताकि सर्वजन के लिए उनकी पहुँच के भीतर आवश्यक देखभाल सुनिश्चित की जा सके.

विश्व भर में, 42 करोड़ 20 लाख लोगों को मधुमेह है, और यह रोग हर साल सीधे तौर पर 15 लाख मौतों के लिए ज़िम्मेदार है.

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डायबिटीज़, रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने की एक ऐसी अवस्था है जिसका देर से पता चलने, या सही ढँग से उपचार ना किए जाने से, हृदय, रक्त धमनियों, आँखों, गुर्दों और स्नायुतन्त्रों को गम्भीर नुक़सान पहुँच सकता है.

सबसे अधिक मामले, ‘टाइप 2’ डायबिटीज़ के दिखाई देते हैं, जोकि अक्सर शरीर में इन्सुलिन के प्रति प्रतिरोध बढ़ने की वजह से पैदा होता है. इन्सुलिन शरीर में रक्त शर्करा (blood sugar) को नियंत्रित करने वाला हारमोन है. 

‘टाइप 2’ डायबिटीज़ बीमारी के जोखिम को नियमित व पर्याप्त शारीरिक सक्रियता, स्वस्थ आहार, और तम्बाकू व ऐल्कॉहॉल के सेवन से बचकर कम किया जा सकता है.

‘टाइप 2’ मधुमेह से पीड़ित होने की स्थिति में, दवाओं, ब्लड प्रैशर पर नियंत्रण और स्वस्थ जीवनशैली के ज़रिये इसे नियंत्रित रखा जा सकता है.  

इस वर्ष अन्तरराष्ट्रीय दिवस की थीम है: डायबिटीज़ सम्बन्धी शिक्षा की सुलभता. इसका उद्देश्य ज़रूरी स्वास्थ्य देखभाल की सुलभता को समर्थन प्रदान करना है, जिसके लिए पिछले अनेक वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं.

दक्षिण पूर्व एशिया में हालात

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में नौ करोड़ 60 लाख से अधिक लोगों के डायबिटीज़ होने का अनुमान है, जबकि नौ करोड़ से अधिक लोगों में इस बीमारी की शुरुआती अवस्था के लक्षण दिखाई दिए हैं.

डायबिटीज़ के कारण इस क्षेत्र में हर साल कम से कम छह लाख मौतें होती हैं, और कारगर कार्रवाई के अभाव में, वर्ष 2045 तक इस क्षेत्र में डायबिटीज़ के मामलों में 68 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की आशंका है.

दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में ‘टाइप 1’ डायबिटीज़ से ढाई लाख से अधिक बच्चे और किशोर प्रभावित हैं, और इसके मामलों की रोकथाम तो सम्भव नहीं है, मगर इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है.

दोनो प्रकार की डायबिटीज़ के लिए इन्सुलिन समेत उपचार को आमजन की पहुँच के भीतर सुनिश्चित करने की अहमियत को रेखांकित किया गया है.

अफ़्रीका में रोग निदान की चुनौती

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का एक नया विश्लेषण दर्शाता है कि विश्व भर में, लगभग 55 फ़ीसदी लोगों को ही यह जानकारी है कि वे डायबिटीज़ की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे हैं.

मगर, अफ़्रीकी क्षेत्र में केवल 46 प्रतिशत लोगों को ही अपनी मधुमेह सम्बन्धी स्थिति के बारे में पता है, जिससे उनकी बीमारी के गम्भीर रूप धारण करने और मौत होने का जोखिम बढ़ जाता है.

अफ़्रीकी क्षेत्र में डायबिटीज़ के कारण होने वाली मृत्यु दर पहले ही दुनिया में सबसे अधिक है, और रोग का समय पर निदान होने की वजह से हालात और बिगड़ सकते हैं.

परीक्षण केंद्रों और उपकरणों की क़िल्लत, प्रशिक्षित स्वास्थ्य देखभालकर्मियों की अपर्याप्त संख्या, स्वास्थ्य केंद्रों की ख़राब सुलभता और जागरूकता का अभाव, मौजूदा परिस्थितियों का एक बड़ा कारण है.

अफ़्रीका में फ़िलहाल दो करोड़ 40 लाख लोग डायबिटीज़ के साथ रह रहे हैं, और 2045 तक ये आंकड़ा बढ़कर साढ़े पाँच करोड़ पहुँच जाने की सम्भावना है.

व्यायाम और शारीरिक सक्रियता के ज़रिये ग़ैर-संचारी रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है.
Unsplash/Gabin Vallet
व्यायाम और शारीरिक सक्रियता के ज़रिये ग़ैर-संचारी रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है.

देखभाल सुलभता

डायबिटीज़ की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे लोगों को निरन्तर देखभाल और समर्थन की आवश्यकता होती है, ताकि मधुमेह को नियंत्रित और इस बीमारी से होने वाली जटिलताओं से बचा जा सके.

मगर, इन्सुलिन की खोज के 100 वर्ष बीतने के बाद भी, लाखों-करोड़ों लोगों को दुनिया भर में ज़रूरी स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध नहीं है.

स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए कार्यालय ने डायबिटीज़ की चुनौती पर पार पाने के लिये चार अहम उपायों पर बल दिया है.

पहला, देखभाल सेवा कवरेज में मौजूदा कमियों को दूर करने के लिए समयबद्ध लक्ष्यों को स्थापित किया जाना. इस क्रम में, समता को सुनिश्चित किया जाना अहम होगा.

दूसरा, कारगर, किफ़ायती और सन्दर्भ के अनुरूप उपयुक्त उपायों की पहचान करते हुए, उन्हें अमल में लाया जाना होगा.

तीसरा, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवा को मज़बूती प्रदान करनी होगी, ताकि समय पर निदान, जाँच, और गुणवत्तापरक देखभाल बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध व सुलभ हो.

देशों को राष्ट्रीय पैकेज में अति-आवश्यक दवाओं और प्राथमिकता वाले उपकरणों की सुलभता को बढ़ावा देना होगा, जिनमें इन्सुलिन भी है.