वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

मानवाधिकार उच्चायुक्त का, इलॉन मस्क के नाम एक खुला पत्र

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टूर्क ने 17 अक्टूबर 2022 को अपने चार वर्षीय कार्यकाल की शुरुआत की.
UN Photo/Violaine Martin
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टूर्क ने 17 अक्टूबर 2022 को अपने चार वर्षीय कार्यकाल की शुरुआत की.

मानवाधिकार उच्चायुक्त का, इलॉन मस्क के नाम एक खुला पत्र

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, इलॉन मस्क के नाम एक खुला पत्र जारी करते हुए, उनके नेतृत्व में ट्विटर के प्रबन्धन में मानवाधिकारों की केन्द्रीय भूमिका सुनिश्चित किये जाने का आग्रह किया है.

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार पदाधिकारी का यह पत्र उन समाचारों के बाद जारी किया गया है, जिसमें ट्विटर कम्पनी में पूरी मानवाधिकार टीम को बर्ख़ास्त कर दिया गया है.

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इसके अलावा, बड़े पैमाने पर अन्य रोज़गार कटौतियाँ की गई हैं, जिस पर यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि यह उत्साहजनक शुरुआत नहीं है.

वोल्कर टर्क ने अपने पत्र में ध्यान दिलाया कि ट्विटर एक वैश्विक क्रान्ति का हिस्सा है, जिसने संचार और प्रेषण के तौर-तरीक़ों को बदल कर रख दिया है.

“मगर, मैं हमारे डिजिटल सार्वजनिक चौक और उसमें ट्विटर की भूमिका के प्रति चिन्ता और आशंका के साथ ऐसा लिख रहा हूँ.”

उन्होंने कहा कि अन्य सभी कम्पनियों की तरह, ट्विटर को भी उसके मंच के साथ जुड़े नुक़सान को समझने की आवश्यकता है और उससे निपटने के लिये क़दम उठाए जाने होंगे.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ज़ोर देकर कहा कि साझा मानवाधिकारों के लिये सम्मान सुनिश्चित करते हुए इस मंच के प्रयोग और उसमें बदलाव के लिये ज़मीन तैयार की जानी होगी.

“संक्षेप में, मेरा आपसे आग्रह किया है कि आपके नेतृत्व में ट्विटर के प्रबन्धन में मानवाधिकारों की केन्द्रीय भूमिका सुनिश्चित की जाए.”

छह बुनियादी सिद्धान्त

इस क्रम में, यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने मानवाधिकार परिप्रेक्ष्य से छह बुनियादी सिद्धान्त साझा किये हैं, जिन पर ट्विटर प्रबन्धन में ध्यान दिये जाने की अहमियत को रेखांकित किया गया है.

- विश्व भर में बोलने की आज़ादी की रक्षा की जानी होगी. वोल्कर टूर्क ने ट्विटर से निजता और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकारों के लिये, प्रासंगिक क़ानूनों के तहत हरसम्भव समर्थन का आग्रह किया है. साथ ही सरकारों द्वारा उन अधिकारों का उल्लंघन करने वाले मामलों में पारदर्शिता के साथ जानकारी दी जानी होगी.  

- बोलने की आज़ादी कुछ भी कह देने का अधिकार नहीं है. नुक़सान पहुँचाने वाली जानकारी का तेज़ी से फैलना एक बड़ी चुनौती है, जैसेकि कोविड-19 के दौरान वैक्सीन के मामले में देखा गया था. वोल्कर टूर्क ने कहा कि यह ट्विटर का दायित्व है कि ऐसी सामग्री को फैलने से रोका जाए जिससे अन्य लोगों के अधिकारों का हनन होता हो.

- ट्विटर पर घृणा, भेदभाव, शत्रुता और हिंसा का स्थान नहीं है. यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि सोशल मीडिया पर नफ़रत भरे सन्देशों और भाषणों का फैलना, लोगों को ख़तरे में डाल सकता है. इसके मद्देनज़र, ट्विटर द्वारा ऐसी नीतियों को लागू किया जाना जारी रखना होगा ताकि ऐसी सामग्री को तेज़ी से हटाया जा सके.

- पारदर्शिता अहम है. हमारे समाजों पर सोशल मीडिया के प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने के लिये शोध अति-आवश्यक है. इसलिये, यूएन अधिकारी ने ऐप प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस के ज़रिये ट्विटर के डेटा की सुलभता बनाए रखने पर बल दिया है.

- निजता की रक्षा. बोलने की आज़ादी, निजता के अधिकार की असरदार ढंग से सुरक्षा पर निर्भर है. इसलिये, वोल्कर टूर्क ने उपयोगकर्ता (users) की निगरानी और डेटा जुटाने से परहेज़ बरतने का आग्रह किया है, और सरकार द्वारा किये जाने वाले उन अनुरोधों से भी, जिनमें प्रयोगकर्ताओं सम्बन्धी जानकारी मांगी जाती है.  

- भाषा और प्रासंगिक विशेषज्ञता वैकल्पिक नहीं है. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया कि ट्विटर की यह ज़िम्मेदारी है कि दुनिया भर में अधिकारों का सम्मान करने वाला और सुरक्षित माहौल प्रदान करने वाला मंच उपलब्ध कराया जाए.