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यूएन सम्मेलन: महासागर संरक्षण के लिये वैज्ञानिक ज्ञान की अहमियत रेखांकित

अमेरिकन समोआ में एक महासागर विज्ञानी शोध कार्य में व्यस्त है.
© Ocean Image Bank/Shaun Wolfe
अमेरिकन समोआ में एक महासागर विज्ञानी शोध कार्य में व्यस्त है.

यूएन सम्मेलन: महासागर संरक्षण के लिये वैज्ञानिक ज्ञान की अहमियत रेखांकित

एसडीजी

पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में, यूएन महासागर सम्मेलन का चौथा दिन वैज्ञानिक समुदाय की भूमिका पर केन्द्रित रहा, जिसमें वैज्ञनिक ज्ञान, शोध क्षमता विकास, और समुद्री टैक्नॉलॉजी के हरसम्भव उपयोग को सतत महासागर प्रबन्धन की दृष्टि से अहम बताया गया है.

वैज्ञानिकों ने ज़ोर देकर कहा है कि टिकाऊ विकास के 14वें लक्ष्य को हासिल करने के लिये, ज्ञान विकास एक पूर्व शर्त है, और साथ ही जलीय जीवन के लिये अतिरिक्त समर्थन की भी दरकार होगी.

विश्व भर में तीन अरब से अधिक लोग अपने भोजन व आजीविका के लिये समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों पर निर्भर हैं.

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महासागर-सम्बन्धी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये उचित समाधानों का इस्तेमाल, मौजूदा व भावी पीढ़ियों द्वारा उठाये जा रहे क़दमों पर निर्भर होगा.

हाल के वर्षों में टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा के सिलसिले में महासागर विज्ञान की अहमियत को पहचाना गया है और वैज्ञानिक नवाचार भी बढ़ा है.

संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ, अनेक सरकारों, नागरिक समाज व वैज्ञानिक समुदाय द्वारा विविध प्रकार की पहल विकसित व लागू की गई हैं.

बताया गया है कि टिकाऊ विकास के लिये महासागर विज्ञान के दशक ने जिन अवसरों को प्रस्तुत किया है, उनके पूर्ण उपयोग के लिये अनेक हितधारकों का सहयोग व स्वामित्व आवश्यक होगा.

अन्तरसरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (IOC) महासागर विज्ञान व शोध के लिये अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को मज़बूती देने के लिये प्रयासरत है, चूँकि यह विशाल दायित्व किसी एक देश के लिये निभा पाना सम्भव नहीं है.

महत्वपूर्ण क्षण

सम्मेलन के दौरान वैज्ञानिकों ने महासागर, समुद्री शोध व महासागर पर्यवेक्षण में हाल के दिनों में हुई प्रगति की सराहना करते हुए, कार्रवाई के लिये और अधिक प्रतीक्षा ना करने का आग्रह किया है.

अनुभवी समुद्री जीवविज्ञानी सिल्विया अर्ल ने इस सप्ताह लिस्बन में सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया.

उन्होंने कहा, “अपनी शक्ति का इस्तेमाल कीजिये और अन्य लोगों को भी प्रकृति की रक्षा करने के लिये राज़ी कीजिये, वापिस देने के लिये, मौतों को टालने और यह समझने के लिये कि हम जिस प्रदूषण की वजह हैं, हम उसे भी रोक सकते हैं.”

सिल्विया अर्ल ने ज्ञान को एक ‘सुपरपावर’ बताया और कहा कि यह कार्रवाई के लिये एक बेहद महत्वपूर्ण समय है. “हमारे पास प्राकृतिक प्रणाली के भीतर ही एक स्थान ढूँढने का यह सर्वोत्तम अवसर है, जो हमें जीवित रख सके.”

समुद्री क्षेत्र में क़ानून

समुद्री क्षेत्र के लिये क़ानून पर यूएन सन्धि में महासागर विज्ञान की अहमियत को रेखांकित किया गया है, और देशों और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के लिये दायित्व तय किये गए हैं.

इसका लक्ष्य समुद्री विज्ञान शोध में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, वैज्ञानिकों के लिये बेहतर परिस्थितियों का निर्माण करना और वैज्ञानिक डेटा के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है.

मिस्र के तट के नज़दीक लाल सागर में एक प्रवाल भित्ति के इर्दगिर्द मछलियाँ तैर रही हैं.
Coral Reef Image Bank/Alexander
मिस्र के तट के नज़दीक लाल सागर में एक प्रवाल भित्ति के इर्दगिर्द मछलियाँ तैर रही हैं.

एक अनुमान के अनुसार, विश्व में कुल महासागर क्षेत्र का क़रीब 50 फ़ीसदी, किसी देश का हिस्सा नहीं हैं, और इस पृष्ठभूमि में उनकी शासन व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना महत्वपूर्ण है.

इस क्रम में, इन जल क्षेत्रों के लिये मौजूदा तंत्रों को अपर्याप्त बताया गया है और संरक्षण उपायों के लिये समझौते पर बल दिया गया है.

सिल्विया अर्ल ने कहा कि जीवन, महासागर पर निर्भर है. “महासागर हमें जीवित रखते हैं, और हमें महासागरों को जीवित रखना है.”

संरक्षण उपाय

उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा सुनिश्चित करने का दायित्व सभी का है और लोग निजी स्तर पर ऐसे पौधों, पुष्पों और वृक्षों का रोपण कर सकते हैं, जिससे महासागरों की मदद हो सके.

निडर कार्रवाई पर केन्द्रित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए, Oceano Azul Foundation के शीर्ष वैज्ञानिक इमैनुएल गोन्ज़ालवेज़ ने महासागरों की रक्षा के लिये, हर एक व्यक्ति तीन क़दम उठा सकता है: मतदान, समस्याओं के समाधानों को बढ़ावा और उपभोक्ता के रूप में व्यवहारिक बदलाव.

संयुक्त राष्ट्र में सामाजिक व आर्थिक मामलों के विभाग लियु झेनमिन ने यूएन न्यूज़ को बताया कि लिस्बन से पहले यूएन के सदस्य देशों के बीच हुए एक समझौते के बाद, शुक्रवार को एक राजनैतिक घोषणापत्र पारित किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि महासागरों को पहुँच रही क्षति से निपटने के लिये दुनिया तत्काल कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ रही है.