वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

यूक्रेन: रूसी आक्रमण के चार महीने बाद भी, तेज़ी से बढ़ती मानवीय आवश्यकताएँ

यूक्रेन के ख़ारकीव में युद्ध प्रभावित लोगों को विश्व खाद्य कार्यक्रम की तरफ़ से खाद्य पैकेट बाँटे जाते हुए.
© WFP/Ukrainian Red Cross/Yurii Chornobuk
यूक्रेन के ख़ारकीव में युद्ध प्रभावित लोगों को विश्व खाद्य कार्यक्रम की तरफ़ से खाद्य पैकेट बाँटे जाते हुए.

यूक्रेन: रूसी आक्रमण के चार महीने बाद भी, तेज़ी से बढ़ती मानवीय आवश्यकताएँ

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहतकर्मियों ने कहा है कि यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के चार महीने बाद भी विशाल पैमाने पर मानवीय राहत आवश्यकताएँ और मानवाधिकारों के प्रति चिन्ता बरक़रार है. उन्होंने गुरूवार को, देश में काला सागर बन्दरगाह के ज़रिये, खाद्य सुरक्षा के लिये अति महत्वपूर्ण अनाज की सुलभता सुनिश्चित करने की अपनी अपील भी दोहराई है.

यूक्रेन के लिये मानवीय राहत समन्वयक ओसनात लुब्रानी ने कीयव से जानकारी देते हुए बताया कि मारियुपोल, ख़ारकीव, कीयव, बूचा, इरपिन और अन्य शहरों में हुए विध्वंस व उपजी पीड़ा को देखना हृदयविदारक है.  

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संयुक्त राष्ट्र और उसके साझादीर संगठनों व स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं ने ज़रूरतमन्द लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिये पुरज़ोर प्रयास किये हैं.

मगर, उन्होंने ध्यान दिलाया कि आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये रूस और यूक्रेन को अतिरिक्त कोशिशें करनी होंगी.

“यूक्रेन में आज लगभग एक करोड़ 60 लाख लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है: जल, भोजन, स्वास्थ्य सेवा, सिर के ऊपर छत, संरक्षण.”

बताया गया है कि वास्तविक ज़रूरतमन्दों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है और संयुक्त राष्ट्र आवश्यकताओं के आकलन में जुटा है.

युद्ध से त्रस्त देश से परे, वैश्विक खाद्य असुरक्षा के लिये चिन्ताएँ गहरा रही हैं, जिसकी एक वजह, यूक्रेन में बन्दरगाहों और वहाँ स्थित अनाज भण्डारण केन्द्रों तक सुरक्षित मार्ग से पहुँच ना होना बताई गई है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने अनेक बार इन केन्द्रों तक पहुँच सम्भव बनाए जाने की अपील की है.

अनाज निर्यात के लिये प्रयास 

यूएन एजेंसी में आपात मामलों के लिये उप समन्वयक केट न्यूटन ने कहा, “काला सागर बन्दरगाह के बिना, हम किसी भी तरह से निर्यात के उस स्तर के क़रीब नहीं पहुँच सकते, जिसकी यूक्रेन को तत्काल आवश्यकता है.”

“लेकिन, हम हरसम्भव प्रयास कर रहे हैं, जिसका अर्थ है, सड़क से, रेल से, और अब नदी से भी, ताकि अधिककम मात्रा तक पहुँच सके.”

“इस क्षण, हम सोचते हैं कि यह हर महीने लगभग 10 लाख मीट्रिक टन है, जिसे सम्भवत: हम 20 लाख तक बढ़ा सकते हैं. लेकिन हमें काला सागर तक तत्काल पहुँचने की ज़रूरत है.”

24 फ़रवरी को रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद से अब तक, सयुंक्त राष्ट्र ने यूक्रेन में हिंसक संघर्ष में मारे जाने वाले या घायल होने वाले लोगों की संख्या पर नज़र रखी है.

आम लोग बने निशाना

मानवीय राहत समन्वयक ओसनात लुब्रानी ने बताया कि अब तक पाँच हज़ार आम लोगों के मारे जाने और पाँच हज़ार से अधिक लोगों के घायल होने की ख़बर है. मगर, संगठन का मानना है कि वास्तविक संख्या, हताहतों की मौजूदा संख्या से कहीं अधिक होने की आशंका है.

उन्होंने कहा कि बमबारी के दौरान, बड़े पैमाने पर नागरिक प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाया गया है. “मैं क्षतिग्रस्त होने वाले अस्पतालों और स्कूलों व घरों की सटीक संख्या के बारे में नहीं कह सकती, लेकिन हम जानते हैं कि यह हज़ारों में हैं, हम बस अभी तक उस संख्या की पुष्टि नहीं कर सके हैं.”

यूक्रेन में फ़िलहाल 300 संगठन मानवीय राहत प्रयासों में जुटे हैं, जिनमें से क़रीब 200 राष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठन हैं, जिनमें यूक्रेनी नागरिक अग्रिम राहतकर्मी के तौर पर ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचा रहे हैं.

यूक्रेन के लिविव ट्रेन स्टेशन पर मारियुपोल से जान बचाकर आने वाला एक परिवार.
© UNICEF/Juan Haro
यूक्रेन के लिविव ट्रेन स्टेशन पर मारियुपोल से जान बचाकर आने वाला एक परिवार.

सहायता अभियान व चिन्ताएँ

संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों ने 24 फ़रवरी के बाद से, यूक्रेन के हर क्षेत्र में क़रीब 90 लाख लोगों को जीवनरक्षक सहायता प्रदान की है.

लगभग 20 लाख लोगों को नक़दी सहायता प्राप्त हुई है, ताकि वे अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये निर्णय स्वयं ले सकें.

इसके बावजूद, अनेक हिंसा प्रभावित इलाक़ों में मानवीय राहत की सुलभता बेहत ख़तरनाक है.  

ओसनात लुब्रानी के अनुसार ख़ेरसॉन और मारियुपोल में पहुँच के अभाव में राहत आपूर्ति नहीं की जा सकी. सिवियरोदोनेत्स्क में भी युद्धरत पक्षों में लोगों की सुरक्षित निकासी के लिये सहमति नहीं बन पाई है.

यूक्रेन में मानवाधिकारों की निगरानी के लिये मिशन के अनुसार, बन्दरगाह शहर मारियुपोल में पहुँच सुनिश्चित करने के लिये, रूसी सैन्य बलों के साथ कोशिशें की जा रही हैं.

हिंसा में बुरी तरह ध्वस्त हो चुके इस शहर को छोड़कर जाने के लिये इच्छुक लोगों की पड़ताल के बाद चुने जाने पर भी चिन्ता व्यक्त की गई है.

यूएन मिशन ने कहा कि जो लोग इस प्रक्रिया में सफल नहीं हो पाते हैं, उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है, जिसके कारण उनकी सुरक्षा के प्रति चिन्ताएँ हैं.