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‘फ़लस्तीनी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की जान लेने वाली गोली इसराइली बलों की तरफ़ से आई’

दिवंगत वरिष्ठ फ़लस्तीनी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह ने इसराइली सेना के नियंत्रण में हालात की लगभग एक चौथाई शताब्दी तक कवरेज की.
Al Jazeera
दिवंगत वरिष्ठ फ़लस्तीनी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह ने इसराइली सेना के नियंत्रण में हालात की लगभग एक चौथाई शताब्दी तक कवरेज की.

‘फ़लस्तीनी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की जान लेने वाली गोली इसराइली बलों की तरफ़ से आई’

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मई में फ़लस्तीनी क्षेत्र - पश्चिमी तट में अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबू अकलेह को जानलेवा गोली लगने के पीछे इसराइली बलों का हाथ था और शिरीन की मौत किसी अन्धाधुन्ध फ़लस्तीनी गोलीबारी में नहीं हुई.

अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबू अकलेह, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र - पश्चिमी तट के उत्तरी इलाक़े जेनिन शरणार्थी शिविर में, 11 मई को इसराइली सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए एक गिरफ़्तारी अभियान और झड़पों की रिपोर्टिंग की कोशिश कर रही थीं, जब एक गोली लगने से उनकी मौत हो गई. 

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शिरीन अब अकलेह को इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्रों में रिपोर्टिंग का काफ़ी लम्बा अनुभव था.

अत्यधिक व्यथित

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदसानी ने शुक्रवार को जिनीवा में कहा, “जेनिन में 11 मई 2022 को गोली लगने से पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की मौत और उनके सहयोगी अली सम्माउदी के घायल होने के छह सप्ताह से अधिक समय बाद भी, ये बहुत व्यथित करने वाली बात है कि इसराइली अधिकारियों ने अभी तक कोई आपराधिक जाँच नहीं की है.”

रवीना शमदसानी ने यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा इस घटना की जाँच कराए जाने के बाद कहा कि “हमारे कार्यालय द्वारा कराई गई ये निगरानी वहाँ पहले से ही उपलब्ध निष्कर्षों से मेल खाती है कि जिस गोली ने उनकी जान ली, वो इसराइली सुरक्षा बलों की तरफ़ से आई थी.”

जिनीवा में इसराइली मिशन ने इस निष्कर्ष को ख़ारिज करते हुए एक वक्तव्य जारी किया जिसमें ज़ोर देकर कहा गया है कि फ़लस्तीनी प्राधिकरण द्वारा एक संयुक्त जाँच से इनकार करने और गोली सौंपने के अभाव में, अभी ये निष्कर्षतः कहना सम्भव नहीं है कि कौन पक्ष ज़िम्मेदार था. 

अन्तिम लम्हे

मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदसानी ने जिनीवा में पत्रकारों से बात करते हुए, शिरीन अबू अकलेह के अन्तिम पलों का ब्यौरा भी दिया.

“प्रात- लगभग साढ़े छह बजे, चार पत्रकार, शिविर की तरफ़ जाने वाली सड़क पर पहुँचे, जिन्होंने बुलेट प्रूफ़ हैलमेट और विशेष जैकेट्स पहन रखी थीं जिन पर सामने की तरफ़ प्रैस लिखा हुआ था. उन पर अनेक गोलियाँ दागी गईं जो इसराइली सुरक्षा बलों की दिशा से आई थीं और जिनका निशाना सोच समझकर लगाया गया था. ऐसी ही एक गोली ने अली सम्माउदी को कन्धे में घायल किया, और एक अन्य गोली शिरीन अबू अकलेह के सिर में लगी जिससे तत्काल उनकी मौत हो गई.”

प्रवक्ता ने इस बारे में विस्तृत जानकारी दी कि इस जाँच में वही तरीक़े और प्रणाली अपनाए गए जो अन्य देशों में इसी तरह की परिस्थितियों में प्रयोग किये जा चुके हैं, और बताया कि उस इलाक़े में स्थित सशस्त्र फ़लस्तीनियों की किसी गतिविधि के कोई सबूत नहीं हैं.

शिरीन अबू अकलेह और उनके सहयोगी, “पास में ही तैनात इसराइली सुरक्षा बलों को अपनी मौजूदगी दिखाने के इरादे से, धीरे से सामने भी आए थे. हमारी जाँच में मालूम हुआ है कि कोई चेतावनी नहीं जारी की गई और उस स्थान पर, उस समय कोई अन्य गोलीबारी भी नहीं हो रही थी.”

प्रत्येक दृष्टिकोण

रवीना शमदसानी ने कहा, “हमने तस्वीरों, वीडियो, ऑडियो सामग्री का निरीक्षण किया है, हमने घटनास्थल का दौरा किया है, हमने विशेषज्ञों से परामर्श किया है, और हमने आधिकारिक संचार सन्देश भी देखे हैं; और जब शिरीन अबू अकलेह की मौत हुई, उस समय वहाँ मौजूद लोगों से भी हमने बातचीत की है...इस बहुत सघन निगरानी पर आधारित, हमने पाया है कि जिस गोली ने शिरीन की जान ली, वो इसराइली सुरक्षा बलों की तरफ़ से आई थी; और नाकि सशस्त्र फ़लस्तीनियों की किसी अन्धाधुन्ध गोलीबारी से.”

फ़लस्तीनी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह के समर्थन में लन्दन में एक प्रदर्शन के दौरान एक पोस्टर.
© Unsplash/Ehimetalor Akhere Unuabona
फ़लस्तीनी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह के समर्थन में लन्दन में एक प्रदर्शन के दौरान एक पोस्टर.

यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता ने कहा कि शिरीन अबू अकलेह को गोली लगने के बाद, एक निहत्थे व्यक्ति ने उनके शव तक और एक अन्य पत्रकार तक पहुँचने की कोशिश की, जो एक पेड़ के पीछे छुपे हुए थे, तब भी अनेक एकल गोलियाँ वहाँ दागी गईं. “वो एकल गोलियाँ दागी जाती रहीं, अन्ततः वो व्यक्ति शिरीन के शव को वहाँ से निकालने में कामयाब हो गया.”

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने इसराइल सरकार से, पश्चिमी तट में इसराइली बलों द्वारा शिरीन अबू अकलेह की मौत और अन्य लोगों की मौत व गम्भीर रूप से घायल हुए लोगों के मामलों की आपराधिक जाँच शुरू कराने का आग्रह किया है.

मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि ये वर्ष शुरू होने के बाद से उसने पुष्टि की है कि इसराइली सुरक्षा बलों ने पश्चिमी तट में 58 फ़लस्तीनियों को जान से मारा है जिनमें 13 बच्चे हैं.

प्रवक्ता रवीना शमदसानी ने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के अन्तर्गत ऐसे तमाम बल प्रयोग की त्वरित, सम्पूर्ण, पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच कराना अनिवार्य है जिसके परिणामस्वरूप लोगों की मौत होती है या वो घायल होते हैं.”

उन्होंने कहा, “दोषियों की जवाबदेही अवश्य निर्धारित होनी चाहिये.”

इसराइल ने यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की जाँच के निष्कर्षों को खारिज कर दिया है और कहा है कि फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने वो गोली नहीं सौंपी है जिससे शिरीन अबू अकलेह की मौत हुई.