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महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, ‘शान्ति व स्थिरता के लिये सफल रणनीति’

माली के गाओ में महिला शान्ति संगठन समूह की अध्यक्ष मोउना अवाटा, हिंसक टकरावों के निपटारे के लिये सशस्त्र गुटों के साथ मध्यस्थता करती हैं.
Kani Sissoko
माली के गाओ में महिला शान्ति संगठन समूह की अध्यक्ष मोउना अवाटा, हिंसक टकरावों के निपटारे के लिये सशस्त्र गुटों के साथ मध्यस्थता करती हैं.

महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, ‘शान्ति व स्थिरता के लिये सफल रणनीति’

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में आयोजित एक चर्चा के दौरान ‘महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा’, को ऐसा एजेण्डा बताया है जिससे एक अधिक शान्तिपूर्ण व रहन-सहन के लिये बेहतर ग्रह सुनिश्चित किया जा सकता है.

यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में सचेत किया कि बढ़ते वैश्विक संकटों के इस दौर में, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को शान्ति व स्थिरता के लिये, सफल साबित हो चुकी रणनीतियों को अपनाना होगा.

उन्होंने इस महत्वपूर्ण एजेण्डा को आगे बढ़ाने में क्षेत्रीय संगठनों की सकारात्मक भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, “महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देना, ऐसी ही एक रणनीति है.”

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महासचिव ने कहा कि लैंगिक समानता के ज़रिये सतत शान्ति व हिंसक संघर्ष की रोकथाम का मार्ग दिखाई देता है, मगर फ़िलहाल दुनिया विपरीत दिशा में आगे बढ़ रही है.

“मौजूदा हिंसक संघर्षों की वजह से लैंगिक विषमता, निर्धनता, जलवायु व्यवधानों व अन्य प्रकार की असमानताएँ और पैनी हो रही हैं.”

हिंसक टकरावों और उनके दुष्परिणामों से महिलाएँ व लड़कियाँ, विषमतापूर्ण ढंग से अधिक प्रभावित होती हैं.

विषमतापूर्ण असर

लाखों लड़कियाँ स्कूल से बाहर हैं, उनके लिये वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने की सम्भावना नहीं है, जबकि घर पर हिंसा का सामना करने वाली महिलाओँ व लड़कियों की संख्या बढ़ रही है.

महासचिव के अनुसार ताक़त के बल पर सत्ता हथियाने वाले चरमपंथी और सैन्य शासक, लैंगिक समानता के प्रति बेरुख़ी दर्शाते हैं और महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं.

अफ़ग़ानिस्तान, म्याँमार, माली और सूडान समेत अन्य देशों में राजनैतिक गतिरोध और गहराई तक समाए टकराव, शक्ति के असन्तुलन को प्रदर्शित करते हैं.

हाल के महीनों में, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की वजह से लाखों महिलाओं व बच्चों को अपनी जान बचाने के लिये भागने पर मजबूर होना पड़ा है, और उनके तस्करी या अन्य प्रकार के शोषण का शिकार होने का जोखिम है.

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि हिंसक संघर्ष भड़कने की स्थिति में, पड़ोसी देश और क्षेत्रीय संगठन, एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं.

क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका

उन्होंने योरोपीय संघ, अफ़्रीकी संघ, अरब देशों की लीग, और योरोप में सुरक्षा व सहयोग के लिये संगठन (OSCE) और संयुक्त राष्ट्र के बीच रचनात्मक सहयोग की सराहना की.

इन सभी संगठनों ने बुधवार को आयोजित चर्चा में हिस्सा लिया.

महासचिव गुटेरेश ने सूडान में संयुक्त राष्ट्र-अफ़्रीकी संघ, और क्षेत्रीय विकास साझीदारी पर अन्तर-सरकारी प्राधिकरण का उदाहरण दिया, जिसका लक्ष्य राजनैतिक प्रक्रिया को जायज़ संवैधानिक व्यवस्था की ओर ले जाना है.

इस क्रम में महिलाओं की 40 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित किये जाने का लक्ष्य है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने क्षेत्रीय संगठनों से, सूडान के भविष्य के लिये इस समूह के साथ अपनी भागीदारी को मज़बूत करने का आग्रह किया है.

संयुक्त राष्ट्र विश्व भर में अपने शान्तिनिर्माण और राजनैतिक मिशन के ज़रिये, महिला शान्तिनिर्माताओं और नागरिक समाज संगठनों को बढ़ावा देता है.

महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा

इन प्रयासों के तहत, यौन हिंसा के पीड़ितों को समर्थन दिया जाता है, स्थानीय महिला नेताओं व शान्तिनिर्माताओं के साथ साझीदारियों में निवेश किया जाता है, और हर स्तर पर महिला कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाती है.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि शान्ति निर्माण और उसे बनाये रखने के लिये महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित किये जाने बेहद अहम हैं.

आइवरी कोस्ट में महिलाएँ, अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हुए.
UN Photo/Ky Chung
आइवरी कोस्ट में महिलाएँ, अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हुए.

साथ ही, चुनाव निगरानी, सुरक्षा सैक्टर सुधार, निरस्त्रीकरण, न्याय प्रणालियों समेत अन्य क्षेत्रों में पूर्ण रूप से लैंगिक समता की भी आवश्यकता होगी.

महासचिव गुटेरेश ने सदस्य देशों को महिला अधिकारों के लिये प्रयासरत नागरिक समाज संगठनों, हिंसक संघर्ष की रोकथाम, और शान्तिनिर्माण कार्य के लिये समर्थन बढ़ाने का संकल्प लेने के लिये प्रोत्साहित किया है.

महिला सशक्तिकरण के लिये यूएन संस्था (UN Women) की प्रमुख सीमा बहाउस ने हिंसक टकराव से महिलाओं व लड़कियों पर होने वाले असर पर ध्यान आकृष्ट किया.

संकल्पों के सम्मान पर बल

यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशिका ने क्षोभ जताया कि पीड़ितों को कम आयु में जबरन शादी, यौन व लिंग-आधारित हिंसा, खाद्य असुरक्षा, आजीविका और आश्रय, साफ़-सफ़ाई व गरिमा का अभाव, समेत अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 का उल्लेख किया, जोकि हिंसक संघर्ष के दौरान लड़कियों व महिलाओं की रक्षा और शान्ति की तलाश में महिलाओं की अहम भूमिका सुनिश्चित किये जाने पर केन्द्रित है.

“क्षेत्रीय संगठनों ने महिला मध्यस्थकारों के नैटवर्क के विकास में एक प्रमुख निभाई है.” मगर, संस्थागत प्रगति दर्ज किये जाने के बावजूद, राजनैतिक वार्ताओं, शान्ति के लिये बातचीत के दौरान लगभग हमेशा, हम सोचते हैं, “महिलाएँ कहाँ हैं?”

“इसकी आसान वजह यह है कि हमने अपने संकल्पों का सम्मान नहीं किया है.”

सीमा बहाउस ने ज़ोर देकर कहा कि शान्तिपूर्ण समाधानों को ढूंढने, पुनर्बहाली और रोकथाम तंत्रों में महिलाओं को समानतापूर्ण ढंग से शामिल किया जाना होगा.

यूएन एजेंसी की शीर्ष अधिकारी ने सुरक्षा परिषद, सदस्य देशों और क्षेत्रीय संगठनों से अपने जवाबी अभियानों व कार्रवाई में महिला नेत्रियों की आवाज़ें शामिल करने पर बल दिया है.