यूक्रेन: युद्धग्रस्त क्षेत्रों से ‘अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिये’ रूस ले जाए जाने पर चिन्ता
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने यूक्रेन के युद्धग्रस्त पूर्वी क्षेत्रों से बच्चों को देश-निकाला देकर, जबरन रूस ले जाए जाने और वहाँ उन्हें गोद लिये जाने की प्रक्रिया शुरू किये जाने की ख़बरों पर चिन्ता जताई है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने बुधवार को मानवाधिकार परिषद को बताया कि उनका कार्यालय (OHCHR), यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में स्थित अनाथालयों से बच्चों को जबरन ले जाए जाने के आरोपों की पड़ताल कर रहा है.
डोनबास में भीषण लड़ाई जारी है और समाचार माध्यमों के अनुसार, हाल के दिनों में रूसी सैन्य बलों ने वहाँ अपनी ज़मीनी स्थिति मज़बूत की है.
Latest update on civilian casualties in context of Russia’s armed attack against #Ukraine: 4,432 killed, incl 277 children; 5,499 injured, incl 456 children, mostly caused by shelling & airstrikes. Actual toll is much higher. More ➡️ https://t.co/1aquvbyfLN pic.twitter.com/s6gL281TqY
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मिशेल बाशेलेट ने कहा, “OHCHR इन आरोपों या फिर उन बच्चों की संख्या की फ़िलहाल पुष्टि नहीं कर सकता है, जोकि इन हालात में हैं.”
“हम यूक्रेन से बच्चों को रूसी महासंघ में परिवारों तक ले जाने की अनुमति देने की रूसी प्रशासनिक एजेंसियों की कथित योजनाओं के प्रति चिन्तित हैं.”
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रक्रिया में बिछुड़े परिवारों को आपस में मिलाने या बच्चों के सर्वोत्तम हितों का सम्मान करने का ध्यान नहीं रखा गया है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के अनुसार यूक्रेन पर 24 फ़रवरी को रूसी आक्रमण से पहले, देश के अनाथालयों, आवासीय स्कूलों और अन्य संस्थानों में 91 हज़ार से अधिक बच्चे थे.
यूएन बाल कल्याण एजेंसी ने अपने एक वक्तव्य में उन ख़बरों का संज्ञान लिया है, जिनके अनुसार रूस, डोनबास क्षेत्र के अनाथ बच्चों को गोद लिये जाने की प्रक्रिया में तेज़ी के इरादे से, मौजूदा क़ानून में संशोधन भी किया जा सकता है.
“यूनीसेफ़ का मानना है कि कभी भी आपात हालात के दौरान या उसके तुरन्त बाद [बच्चों को] गोद नहीं लिया जाना चाहिये.”
“एक मानवीय आपात स्थिति के दौरान, अपने अभिभावकों से अलग हुए बच्चों को अनाथ नहीं माना जा सकता है. उन्हें अपने परिवार से मिलने का हर अवसर प्रदान किया जाना चाहिये.”
यूक्रेन के लिये जाँच आयोग
यूक्रेन के लिये गठित जाँच आयोग ने राजधानी कीयेफ़ में बुधवार को एक प्रैस वार्ता के दौरान बताया कि अभी तक दर्ज गवाहियों से संकेत मिला है कि अस्थाई रूप से क़ाबिज़ क्षेत्रों से, बड़ी संख्या में बच्चे ग़ायब हो गए हैं, विशेष रूप से संस्थानों में रहने वाले बच्चे.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने मार्च महीने में सदस्य देशों के निवेदन पर इस आयोग का गठन किया था.
आयोग की जाँचकर्ता जासमिन्का ड्ज़ूम्हुर ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित केन्द्रों से लापता बच्चों के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट तथ्य नहीं मिल पाया है, और बच्चों को रूस ले जाकर वहाँ की नागरिकता दिये जाने की ख़बरों की पुष्टि कर पाना बहुत कठिन है.
यूक्रेन का पहली बार दौरा कर रहे जाँच आयोग के चेयरमैन एरिक मोसे के मुताबिक़, पैनल ने बूचा, इरपिन, ख़ारकीयेफ़ और सूमी का निरीणण किया है, जहाँ युद्धापराधों को अंजाम दिये जाने का सन्देह है.
आयोग प्रमुख मोसे ने कहा, “बूचा और इरपिन में, आयोग को आम नागरिकों को मनमाने ढंग से मार दिये जाने, सम्पत्ति की बर्बादी व लूटपाट होने, और स्कूलों समेत बुनियादी ढाँचे पर हमले की जानकारी प्राप्त हुई है.”
“ख़ारकीयेफ़ और सूमी क्षेत्र में, आयोग ने बड़े शहरी केन्द्रों में तबाही देखी है, कथित रूप से हवाई बमबारी, गोलाबारी और नागरिक प्रतिष्ठानों पर किये गए मिसाइल हमलों के नतीजे के तौर पर.”
'दर्दनाक' अनुभव
जाँच आयोग ने अपने शासनादेश (mandate) के तहत, पूर्वी क्षेत्र समेत देश में आन्तरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों के अनुभव भी सुने, जिनकी आगे और पड़ताल की जाएगी.
विस्थापितों ने अपनी बर्बाद हो चुकी सम्पत्तियों, लूटपाट, घेराबन्दी, बुरे बर्ताव, लोगों के ग़ायब होने, और बलात्कार व अन्य प्रकार के यौन दुर्व्यवहार के आरोपों पर जानकारी साझा की.
आयोग प्रमुख ने अपनी टीम के कार्य को फलप्रद क़रार दिया है. उन्होंने कहा कि अगर इन दर्दनाक अनुभवों की पुष्टि होती है, तो ये अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण क़ानून और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के हनन के मामले होंगे.
सम्भवत:, इनमें से कुछ मामलों को युद्धापराध और मानवता के विरुद्ध अपराधों के मामलों की श्रेणी में भी रखा जा सकता है.
ये जाँच दल आगामी सप्ताहों और महीनों में यूक्रेन के अन्य हिस्सों का दौरा करेगा और फिर सितम्बर महीने में मानवाधिकार परिषद को हालात से अवगत कराया जाएगा.