यूक्रेन युद्ध का असर दुनिया भर में सभी पर, गुटेरेश
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने खाद्य, ऊर्जा और वित्त पर वैश्विक संकट प्रतिक्रिया समूह (GCRG) द्वारा जारी किया जाने वाला प्रथम नीति-पत्र (Policy Brief) प्रस्तुत किया है. उन्होंने यह समूह, दुनिया के बेहद कमज़ोर हालात वाले लोगों पर यूक्रेन में युद्ध के प्रभावों का अध्ययन करने के लिये गठित किया है.
यूएन महासचिव ने यह पॉलिसी ब्रीफ़ जारी करने के मौक़े पर रेखांकित किया कि वैसे तो ज़्यादा ध्यान, यूक्रेनियों पर इस युद्ध के असर पर है, मगर इसका वैश्विक प्रभाव भी हो रहा है, एक ऐसी दुनिया में जो पहले ही निर्धनता, भुखमरी और सामाजिक अशान्ति का सामना कर रही है.
उन्होंने कहा, “हम इस समय एक ऐसे सटीक तूफ़ान का सामना कर रहे हैं जिसने विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तबाही का जोखिम उत्पन्न कर दिया है.”
GCRG क्या है?
खाद्य, ऊर्जा और वित्त पर वैश्विक संकट प्रतिक्रिया समूह (GCRC) 32 सदस्यों वाला एक समूह है जिसकी अध्यक्षता यूएन उप महासचिव आमिना मोहम्मद के पास है, और इसमें यूएन एजेंसियों, विकास बैंकों और अन्य अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हैं.
यूएन प्रमुख ने यूक्रेन पर रूसी हमले के सम्भावित प्रभावों और कोविड-19 महामारी के जारी प्रभावों पर उठी चिन्ताओं के बीच, 14 मार्च को यह समूह, गठित किया था.
यह किस तरह मदद करेगा?
यह समूह बहुत कमज़ोर हालात वाले देशों में बड़े पैमाने वाले संकटों की रोकथाम के लिये, देशों की सरकारों, बहुपक्षीय प्रणाली और व्यापक क्षेत्रों के दरम्यान सहयोग सुनिश्चित करेगा.
ये क्यों महत्वपूर्ण है?
यूक्रेन संकट ने दुनिया की लगभग 20 प्रतिशत आबादी यानि क़रीब एक अरब 70 करोड़ लोगों को निर्धनता, तकलीफ़ों और भुखमरी में धकेलने का जोखिम उत्पन्न कर दिया है.
यूक्रेन और रूसी महासंघ - दुनिया भर में गेहूँ और जौ की खपत का लगभग 30 प्रतिशत और मक्का का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा उपलब्ध कराते हैं. साथ ही सूरजमुखी के तेल का लगभग आधा हिस्सा भी इन दो देशों से ही उपलब्ध होता है.
कुल मिलाकर, ये अनाज कुछ निर्धनतम और बहुत कमज़ोर हालात वाले लोगों के लिये बहुत महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत हैं, जो 45 अफ़्रीकी और कम विकसित देशों द्वारा आयात किये जाने वाले कुल गेहूँ का लगभग एक तिहाई हिस्सा मुहैया कराते हैं.
इसके साथ ही, रूस दुनिया भर में प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है, और दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश भी.
यूक्रेन युद्ध ने अनेक विकासशील देशों के सामने दरपेश चुनौतियों को जटिल बना दिया है जोकि कोविड-19 के कारण पहले से ही गम्भीर हैं.
वर्ष 2022 शुरू होने के बाद से गेहूँ और मक्का की क़ीमतें 30 प्रतिशत बढ़ी हैं, तेल के दाम पिछले एक वर्ष के दौरान 60 प्रतिशत से ज़्यादा महंगे हुए हैं, और प्राकृतिक गैस व उर्वरकों की क़ीमतें भी दोगुनी से ज़्यादा हो गई हैं.
दूसरी तरफ़ संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता अभियान धन की क़िल्लत का सामना कर रहे हैं: विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने आगाह किया है कि बेहद ख़राब परिस्थितियों में रहने वाले, भुखमरी का सामना कर रहे लोगों को भोजन मुहैया कराने के लिये उसके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. एजेंसी को यमन, चाड और निजेर में सहायता अभियानों के लिये, तत्काल 8 अरब डॉलर की रक़म की ज़रूरत है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि रिपोर्ट दर्शाती है कि बढ़ती खाद्य क़ीमतों और सामाजिक व राजनैतिक अस्थिरता के बीच सीधा सन्बन्ध है. “हम इन हालात को जारी नहीं रहने दे सकते. हमें अभी कार्रवाई करनी होगी.”
इस पहली पॉलिसी ब्रीफ़ में क्या सिफ़ारिशें हैं?
इस नीति पत्र में, संकटों से निपटने में वैश्विक सहयोग की महत्ता पर ज़ोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि ये संकट गहरे और दीर्घकालीन निशान छोड़ेंगे.
रिपोर्ट में देशों और निजी क्षेत्र, ग़ैर-सरकारी संगठनों और अन्य क्षेत्रों से ये निशानदेही करने का आहवान किया गया है कि लगातार बढ़ते सामान्य वैश्विक झटकों की प्रकृति ऐसी है कि कोई भी देश निजी रूप से उनके लिये ज़िम्मेदार नहीं हैं, और समाधान भी किसी राष्ट्रीय जोखिम के बजाय, वैश्विक जोखिम के स्तर पर तलाश किये जाने हैं.
खाद्य, ईंधन और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की आसमान छूती क़ीमतों के मद्देनज़र, तमाम देशों से अपने बाज़ार खुले रखने, जमाख़ोरी से बचने और निर्यात पर ग़ैर-ज़रूरी प्रतिबन्धों से बचने का भी आग्रह किया गया है, ताकि भुखमरी और अकाल के बढ़े स्तर का सामना कर रहे देशों के लिये, खाद्य भण्डार उपलब्ध रह सकें.
अगला नीति-पत्र कब जारी होगा?
GCRC के नीति-पत्र हर सप्ताह मंगलवार को जारी किये जाने की योजना है, मगर प्रकाशन कार्यक्रम में, यूक्रेन युद्ध से सम्बन्धित घटनाक्रम के मद्देनज़र, बदलाव हो सकता है.