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यूएन75: साझा उपलब्धियों पर गर्व, भावी चुनौतियों से निपटने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासभा का पहला सत्र 10 जनवरी 1946 को लंदन के सैन्ट्रल हॉल में आयोजित किया गया.
UN Photo/Marcel Bolomey
संयुक्त राष्ट्र महासभा का पहला सत्र 10 जनवरी 1946 को लंदन के सैन्ट्रल हॉल में आयोजित किया गया.

यूएन75: साझा उपलब्धियों पर गर्व, भावी चुनौतियों से निपटने की पुकार

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन सहित अन्य मौजूदा चुनौतियों से निपटने में वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर बल दिया है. यूएन प्रमुख ने 10 जनवरी, 1946 को लन्दन में हुई, यूएन महासभा की पहली बैठक की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को वर्चुअली सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1945 के बाद से अब तक बड़ी ताक़तों के बीच सैन्य टकराव नहीं हुआ है जोकि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिये एक बड़ी उपलब्धि है.

महासचिव गुटेरेश ने यूएन महासभा की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा, “जनरल असेम्बली के कामकाज से वैश्विक स्वास्थ्य, साक्षरता, जीवन मानकों को बेहतर बनाने और मानवाधिकारों व लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में मदद मिली है.”

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यूएन महासभा के मौजूदा अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने जनरल असेम्बली को वैश्विक चर्चा का एक ऐसा मंच बताया है जहाँ संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश अपने मतभेद शान्तिपूर्वक सुलझा सकते हैं और वैश्विक चुनौतियों का समाधान ढूँढ सकते हैं.  

यूएन प्रमुख ने वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा, “पिछले 75 वर्षों में हम अलग-अलग रहकर जितना कुछ हासिल कर सकते थे, उससे ज़्यादा हमने एक साथ मिलकर हासिल किया है.”

इस कार्यक्रम का आयोजन ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमण्डल एवँ विकास कार्यालय (Foreign, Commonwealth and Development Office) की सह-मेज़बानी में किया गया. 

यूएन प्रमुख ने कहा, “ऐसे समय जब हम अगले 75 वर्षों की ओर क़दम बढ़ा रहे हैं और दुनिया पहले से ज़्यादा आपस में जुड़ रही है, आइये, इन सम्बन्धों को और प्रगाढ़ बनाएँ, ताकि हम उन लोगों की रक्षा और ज़रूरतों को सर्वश्रेष्ठ ढंंग से पूरा कर सकें जिनके लिये हम सेवारत हैं.”

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय अपनी सामूहिक उपलब्धियों पर गर्व का अनुभव कर सकता है, लेकिन वैश्विक महामारी सहित अन्य मुश्किल चुनौतियों के दौर में बड़ी कार्रवाई की भी आवश्यकता है. 

गहरी होती असमानताएँ

यूएन प्रमुख ने अनेक बार आगाह किया है कि कोरोनावायरस संकट ने विषमताओं और समाज में व्याप्त कमज़ोरियों को उजागर किया है – देशों के भीतर और देशों के बीच. 

महिलाओं और लड़कियों के लिये ख़तरा बढ़ा है और वैश्विक सहयोग व एकजुटता की कमी भी सामने आई है.

“हमने यह हाल ही में वैक्सीन राष्ट्रवाद के मामले में देखा है. कुछ धनी देश अपनी जनता के लिये वैक्सीन ख़रीदने के लिये प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, और दुनिया में निर्धनों के बारे में नहीं सोचा जा रहा है.”

यूएन महासचिव ने कहा कि जलवायु आपदा से मुक़ाबला करने के लिये वैश्विक जवाबी कार्रवाई पूरी तरह से अपर्याप्त साबित हुई है. 

यूएन प्रमुख ने कोविड-19 महामारी को एक मानवीय त्रासदी क़रार दिया है, लेकिन यह भरोसा जताया है कि इसे एक ज़्यादा टिकाऊ व न्यायसंगत विश्व को हासिल करने के अवसर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 

इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत कार्रवाई को आगे बढ़ाना होगा. 

“इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता हासिल करने के लिये वैश्विक गठबन्धन का निर्माण करना है.” 

“हमें अर्थपूर्ण कटौतियों की आवश्यकता अभी है – वर्ष 2010 के स्तर की तुलना में, वर्ष 2030 तक, वैश्विक उत्सर्जन में 45 फ़ीसदी कमी लाने के लिये.”

महासचिव गुटेरेश ने इस कार्यक्रम के दौरान युवाओं के सवालों के भी जवाब दिये और एकजुट सुरक्षा परिषद की अहमियत को रेखांकित किया. 

उन्होंने कहा कि बड़ी शक्तियों को आपस में मतभेद भुलाकर साथ मिलकर काम करने और निर्णय लेने की ज़रूरत है ताकि घोषित युद्धविराम लागू कराए जा सकें.