एशिया-प्रशान्त में भी व्यापार पर कोविड का असर, मगर बाक़ी दुनिया से कम
संयुक्त राष्ट्र के एक विकास संगठन (ESCAP) ने कहा है कि कोविड-19 महामारी और लम्बे समय से चले आ रहे व्यापार तनावों के कारण, वर्ष 2020 के दौरान, वैश्विक व्यापार में आई भारी गिरावट के बावजूद, एशिया और प्रशान्त में, बाक़ी दुनिया की तुलना में, कुछ कम असर हुआ है.
एशिया-प्रशान्त के लिये संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCAP) ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2020 के दौरान वैश्विक व्यापार में साढ़े 14 प्रतिशत की गिरावट अपेक्षित है. जबकि एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में व्यापार में 9-10 प्रतिशत का संकुचन सम्भावित है.
JUST OUT - Despite facing a sharp decline in #trade and #FDI, #AsiaPacific is expected to perform better than the rest of the world in 2020. However, the path towards full trade recovery still remains highly uncertain. 🔎https://t.co/o8eA1pW8zc pic.twitter.com/hDf6iF2o83
UNESCAP
बाक़ी दुनिया में व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ा है, मगर इसके परिणामस्वरूप वैश्विक व्यापार में, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र का हिस्सा, वर्ष 2020 में सबसे ऊँचाई पर पहुँचने का अनुमान है.
इस वर्ष के दौरान, वैश्विक व्यापार में, इस क्षेत्र का निर्यात लगभग 41.8 प्रतिशत और आयात, 38.3 प्रतिशत होने की अपेक्षा है, जोकि एक साल पहले के 39.9 प्रतिशत निर्यात और 36.9 प्रतिशत आयात से कुछ ज़्यादा है.
समायोजन है कुँजी
यूएन संस्थान ने हालाँकि आगाह करते हुए ये भी कहा है कि पुनर्बहाली का का रास्ता बहुत ज़्यादा अनिश्चितताओं से भरा हुआ है, जिनमें बहुत से देशों में उच्च बेरोज़गारी, बहुत ज़्यादा क़र्ज़ और महँगाई, और बहुत सी बुनियादी ढाँचागत चुनौतियाँ तीव्र पुनर्बहाली के रास्ते में बाधाएँ खड़ी करेंगी.
छोटे अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को और भी ज़्यादा बाधाओं का सामना करना पड़ेगा क्योंकि कोरोनावायरस महामारी से निपटने के उपायों के तहत यात्राओं व पर्यटन पर पाबन्दियाँ लगानी पड़ी हैं और विदेशों में रहने वाले नागरिकों द्वारा स्वदेश को से भेजी जाने वाली रक़म में भी बहुत कमी आई है.
एशिया-प्रशान्त के लिये संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCAP) की कार्यकारी सचिव अरमीडा सैलसिया अलिस्जाहबाना का कहना है कि कोविड-19 महामारी के विनाशकारी प्रभावों के कारण, विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं वाले दोनों ही तरह के देशों , करोड़ों लोगों के फिर से गरीबी में चले जाने का जोखिम पैदा हो गया है.
“हम इस क्षेत्र के तमाम देशों से आग्रह करते हैं कि वो ऐसे बेहतर व्यापार नियम तैयार करने पर काम करें जिनके ज़रिये संकटों के दौर में लचीलेपन व मज़बूती में बढ़ोत्तरी हो, और समावेशी और हरित अर्थव्यवस्थाओं के लिये टिकाऊ आर्थिक पुनर्बहाली में मदद मिले.”
निवेश पर भी असर
यूएन संगठन का कहना है कि वैश्विक संकट के प्रभावों के कारण, व्यापार के साथ-साथ, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) पर भी तात्कालिक और बहुत ज़्यादा असर पड़ा है.
ESCAP का कहना है कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के तमाम रूपों के बारे में आँकड़े एकत्र किये जा रहे हैं, इस बीच तिमाही आँकड़ों से पता चलता है कि ये क्षेत्र किस हद तक प्रभावित हुआ है.
इस संगठन से व्यापार के बारे में इस वार्षिक जानकारी से, देशों को उभरते जोखिमों और अनिश्चितताओं का मुक़ाबला करने के लिये लघु से मध्य अवधि वाली योजनाएँ तैयार करने में मदद मिलती है.
एशिया-प्रशान्त के लिये आर्थिक व सामाजिक संगठन (ESCAP) की स्थापना 1947 में हुई थी और संयुक्त राष्ट्र के पाँच क्षेत्रीय आयोगों में से एक है.
भौगोलिक व आबादी के अनुसार, इस आयोग का दायरा व सदस्यता, पूर्व में प्रशान्त द्वीप के देश किरिबाती से लेकर पश्चिम में तुर्की, और उत्तर में रूस से लेकर, दक्षिण में, न्यूज़ीलैण्ड तक फैला हुआ है.