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मानव तस्करी की ज़्यादातर शिकार महिलाएँ व लड़कियाँ

सूडान में मानव तस्करी के विरुद्ध यूएनएचसीआर के एक अभियान को अपना समर्थन जताते हुए कुछ शरणार्थी महिलाएँ. (24 जुलाई 2018)
© UNHCR/Bahia Egeh
सूडान में मानव तस्करी के विरुद्ध यूएनएचसीआर के एक अभियान को अपना समर्थन जताते हुए कुछ शरणार्थी महिलाएँ. (24 जुलाई 2018)

मानव तस्करी की ज़्यादातर शिकार महिलाएँ व लड़कियाँ

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा है कि मानव तस्करी एक ऐसा जघन्य अपराध है जिससे दुनिया का हर इलाक़ा प्रभावित होता है, विशेषरूप में महिलाएँ और बच्चे. मंगलवार, 30 जुलाई को मानव तस्करी निरोधक दिवस के अवसर पर महासचिव ने ये संदेश दिया है. मानव तस्करी को रोकने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष ये दिवस 30 जुलाई को मनाया जाता है.

मंगलवार, 30 जुलाई को मानव तस्करी निरोधक दिवस के अवसर पर महासचिव ने ये संदेश दिया है. मानव तस्करी को रोकने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष ये दिवस 30 जुलाई को मनाया जाता है. मादक पदार्थों और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (UNODC) के आँकड़ों के अनुसार मानव तस्करी के नज़र में आए मामलों में 72 प्रतिशत पीड़ित महिलाएँ और बच्चे होते हैं. इसके अलावा गंभीर चिंता की बात ये है कि मानव तस्करी से पीड़ित बच्चों की संख्या वर्ष 2004 के मुक़ाबले 2016 में बढ़कर दो गुना हो गई.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 30 जुलाई को विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस के अवसर अपने संदेश में कहा, “मानव तस्करी के पीड़ितों में से ज़्यादातर को यौन शोषण के लिए इस जघन्य अपराध का शिकार बनाया जाता है, जबरन मज़दूरी कराने के लिए भी इंसानों की तस्करी की जाती है, बच्चों को लड़ाई में इस्तेमाल करने के लिए भी मानव तस्करी होती है, इसके अलावा अन्य तरह के शोषण और उत्पीड़न के लिए भी इंसानों की तस्करी की जाती है.”

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मानव तस्करों का शिकार बनने वाले ज़्यादार लोग प्रवासी होते हैं, उनमें ऐसे शरणार्थी भी होते हैं जिन्होंने विभिन्न कारणों से अपने मूल देशों या स्थानों को छोड़ दिया होता है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि सशस्त्र संघर्षों, विस्थापन, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और ग़रीबी जैसी परिस्थितियों की वजह से बनने वाले नाज़ुक हालात और बहुत से लोगों की हताशा की वजह से भी मानव तस्करी को बढ़ावा मिलता है. उन्होंने कहा कि ख़ासतौर पर प्रवासियों को निशाना बनाया जा रहा है.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “मानव तस्करों और प्रवासियों को निशाना बनाने वाले गिरोहों के हाथों समुद्रों, रेगिस्तानों और बंदीगृहों में हज़ारों लोगों की जान जा चुकी है. ये तस्कर अपने इस क्रूर और हैवानियत वाले कारोबार में मासूम लोगों को निशाना बनाते हैं.”

एंतोनियो गुटेरेश ने विश्व दिवस के मौक़े पर इस तरफ़ भी ध्यान दिलाया कि उत्पीड़न और शोषण के लिए रोज़मर्रा के जीवन में किस तरह से अरुचि देखने को मिलती है. मानव तस्करी का शिकार होने वाले लोगों के असहाय हालात से लाभ उठाने वालों में निर्माण उद्योग से लेकर खाद्य उत्पादन और उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माता, विक्रेता और उद्योगकर्मी तक सभी बड़े पैमाने पर शामिल होते हैं.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इन असहाय हालात का शिकार होने वालों की मदद करने के उपाय बढ़ाने की पुकार लगाते हुए कहा कि बहुत से देशों में क़ानून तो बने हुए हैं लेकिन मानव तस्करी के अंतरराष्ट्रीय गिरोहों को न्याय के कटघरे में पहुँचाने के लिए ठोस उपाय करने की सख़्त ज़रूरत है. उससे भी ज़्यादा ये महत्वपूर्ण है कि मानव तस्करी के पीड़ितों की शिनाख़्त करके उनके लिए सुरक्षा व ऐसी सेवाएँ मुहैया कराई जाएँ जिनकी उन्हें ज़रूरत है.

महासचिव ने अपने संदेश में कहा, “इस विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस के अवसर पर आइए, अपराधियों को अपने फ़ायदे के लिए इंसानों का शोषण करने वाले अपराधियों को रोकने और पीड़ितों को उनकी ज़िंदगी फिर से संगठित करने और सामान्य जीवन जीने में मदद करने के लिए अपना संकल्प फिर से दोहराएँ.”

मानव तस्करी रोकने के प्रयासों पर संयुक्त राष्ट्र की स्पेशल रैपोर्टियर मारिया ग्रेज़िया गियाम्मारिनारो ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव की आवाज़ से आवाज़ मिलाते हुए कहा कि मानव तस्करी के पीड़ितों को सुरक्षा और न्याय दिलाना बहुत ज़रूरी है. इसके लिए उन्होंने तमाम देशों की सरकारों का आहवान किया कि वो मानव तस्करी के पीड़ितों की तकलीफ़ों का समुचित मुआवज़ा मुहैया कराने के लिए दीर्घकालीन समाधानों में निवेश किया जाए.

विशेष दूत ने कहा कि तमाम देशों की सरकारें मानव तस्करी के पीड़ितों से किस तरह पेश आते हैं, उसके बारे में बड़े बदलाव करने की ज़रूरत है. मानव तस्करी और शोषण को रोकने के लिए सामाजिक समावेशी रास्ता अपनाना ही सबसे बेहतर और सही जवाब या विकल्प है.

उन्होंने कहा कि जो राजनैतिक लोग समाजों में नफ़रत फैलाते हैं, इंसानों के बीच दीवारें खड़ी करते हैं, बच्चों को बंदी बनाए जाने को सही ठहराते हैं, नाज़ुक हालात का सामना करने वाले प्रवासियों को अपने देशों की सीमा में दाख़िल होने से रोकते हैं, सच बात तो ये है कि ऐसे राजनैतिक लोग ख़ुद अपने देशों के हितों के विरुद्ध काम करते हैं.

स्पेशल रैपोर्टेयर ने कहा कि मानव तस्करी के पीड़ितों को अपना जीवन फिर से संगठित करने और सामान्य ज़िंदगी जाने के लिए समाज का समर्थन और दोस्ताना सामाजिक माहौल की ज़रूरत है. इस प्रक्रिया में उन्हें वित्तीय संसाधनों की भी ज़रूरत होती है. उन्होंने कहा कि मानव तस्करी के पीड़ितों को सिर्फ़ मुआवज़ा मुहैया करा देना भर ही समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि उन्हें उनकी तकलीफ़ों से उबारना भी समाधान में शामिल होना चाहिए. इन समाधानों में पीड़ितों को उनके परिवारों से मिलाना और उनके लिए रोज़गार के अवसर मुहैया कराना भी शामिल है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि वो फिर से मानव तस्करों के चंगुल में ना फँस जाएँ.