वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

'युद्धों में बलात्कार का अन्त करने के लिए, बन्दूकें शान्त और महिलाओं की आवाज़ों को बुलन्द करें'

टकरावों और युद्धों की स्थिति में, यौन हिंसा पर यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन, सुरक्षा परिषद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
टकरावों और युद्धों की स्थिति में, यौन हिंसा पर यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन, सुरक्षा परिषद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए.

'युद्धों में बलात्कार का अन्त करने के लिए, बन्दूकें शान्त और महिलाओं की आवाज़ों को बुलन्द करें'

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 में युद्धों के दौरान बलात्कार और अन्य तरह की यौन हिंसा के कुल 3 हज़ार 688 मामलों की पुष्टि की, जोकि वर्ष 2022 की तुलना में 50 प्रतिशत वृद्धि है. मंगलवार को सुरक्षा परिषद में यह जानकारी प्रस्तुत की गई है.

टकरावों की स्थिति में यौन हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन ने, सुरक्षा परिषद में अपनी वार्षिक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अपराधियों के हाथों में धड़ल्ले से हथियार जा रहे हैं, जबकि मुआवज़े और समाधान की बात आती है तो अधिकतर भुक्तभोगियों को, ख़ाली हाथ ही रहना पड़ता है.

प्रमिला पैटन ने कहा, “हमारे सामने एक अनिवार्य और अति व्यावहारिक कार्य ये है कि बन्दूकों को ख़ामोश किया जाए और शान्ति के लिए एक महत्वपूर्ण एजेंसी के रूप में महिलाओं की आवाज़ों को बुलन्द किया जाए.”

दबाया-छुपाया अपराध

इस रिपोर्ट में चिन्ता की सभी 21 परिस्थितियों की, घटनाएँ, चलन और रुझान शामिल किए गए हैं, जिनमें इसराइल और ग़ाज़ा, सूडान, यूक्रेन, हेती, म्याँमार और काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) भी शामिल हैं.

प्रमिला पैटन ने कहा कि दर्ज होने वाले मामलों में वृद्धि, विशेष रूप से वैश्विक सन्दर्भ में बहुत चिन्ताजनक है, जहाँ मानवीय सहायता, गम्भीर रूप से प्रतिबन्धित और सीमित है.

इनमें से अधिकतर यानि 95 प्रतिशत मामलों में, महिलाएँ और लड़कियाँ भुक्तभोगी हैं. 32 प्रतिशत मामलों में बच्चे भुक्तभोगी थे और उनमें भी बड़ी संख्या लड़कियों की थी. 

ग़ाज़ा युद्ध

इस वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार इसराइल और उसके द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र के बारे में विशेष भाग शामिल किया गया है.

प्रमिला पैटन की रिपोर्ट में फ़लस्तीनी लोगों की असीम पीड़ाओं का अन्त करने के लिए, एक मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने की यूएन प्रमुख की पुकारों को दोहराया गया है. 

साथ ही, हमास द्वारा बन्धक बनाकर रखे गए तमाम लोगों की भी तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की गई है.

पहुँच और दंडमुक्ति

रिपोर्ट में दिखाया गया है कि किस तरह यौन हिंसा ने, आजीविकाओं तक महिलाओं की पहुँच को सीमित किया है और लड़कियों को, बड़े पैमाने पर विस्थापन के बीच, शिक्षा तक पहुँच से वंचित किया है.

प्रमिला पैटन ने कहा कि इस बीच, यौन हिंसा को दंडमुक्ति के साथ अंजाम दिए जाना, युद्ध की राजनैतिक अर्थव्यवस्था में लाभदायक मामला बना हुआ है. उदाहरण के लिए हेती में सशस्त्र गुट अधिक से अधिक धन अर्जित कर रहे हैं और अधिक धन उगाही के लिए, यौन हिंसा की धमकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

रिपोर्ट में 58 ऐसे पक्षों की सूची मुहैया कराई गई है जो या तो यौन हिंसा को अंजाम दे रहे हैं या उसके लिए ज़िम्मेदार हैं, जिनमें मुख्य रूप से, सरकारों से तर गुट हैं. 70 प्रतिशत से अधिक, लगातार अपराधों में संलिप्त हैं, जिसका मतलब है कि वो इस सूची में पाँच या अधिक वर्षों से शामिल रहे हैं.

आशा की किरण निकट

प्रमिला पैटन ने कहा कि शक्ति सन्तुलन में बदलाव के बिना, यौन हिंसा की समस्या का सामना नहीं किया जा सकता है. 

उन्होंने समस्या समाधानों में महिलाओं की अधिक भागेदारी, हथियार प्रतिबन्ध और मानवाधिकार पैरोकारों के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ ज़मीन पर वास्तविक बदलाव की पुकार लगाई है.

प्रमिल पैटन ने कहा, “दुनिया के युद्ध ग्रस्ता क्षेत्रों में कोनों में सिमटी महिलाओं को, राजनैतिक क्षितिज पर आशा की किरण नज़र आना बेहद ज़रूरी है.”