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सूडान में संकट को जारी नहीं रहने दिया जा सकता: वोल्कर टर्क

केन्द्रीय दारफ़ूर में स्थित ज़ेलिंगेई टाउन में विस्थापितों के लिए बनाए गए अस्थाई आश्रयों के पास खड़े बच्चों व उनके परिवारों का एक हवाई दृश्य. (फ़ाइल)
© UNICEF/Spalton
केन्द्रीय दारफ़ूर में स्थित ज़ेलिंगेई टाउन में विस्थापितों के लिए बनाए गए अस्थाई आश्रयों के पास खड़े बच्चों व उनके परिवारों का एक हवाई दृश्य. (फ़ाइल)

सूडान में संकट को जारी नहीं रहने दिया जा सकता: वोल्कर टर्क

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख, वोल्कर टर्क ने सोमवार को चेतावनी दी है कि सूडान में पिछले एक साल से जारी हिंसक टकराव, पहले ही भीषण पीड़ा व बड़ी संख्या में मौतों का कारण है, लेकिन जिस तरह युद्धरत पक्षों द्वारा आम नागरिकों को हथियारों से लैस करने की ख़बरें मिल रही हैं, उससे स्थिति बद से बदतर हो सकती है.

सूडान में परस्पर विरोधी पक्षों के बीच लड़ाई को एक साल पूरा हो गया है. इस पृष्ठभूमि में, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने टकराव बढ़ने और उत्तरी दारफ़ूर के अल-फ़शहर पर हमला होने की प्रबल आशंका के प्रति आगाह किया है.

वोल्कर टर्क ने कहा, “सूडान के लोगों को संघर्ष के दौरान असीम पीड़ा का सामना करना पड़ा है. इसमें घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अँधाधुँध हमले, जातीय हमले व हिंसक टकराव सम्बन्धी यौन हिंसा की अनगिनत घटनाएँ शामिल है. सभी संघर्षरत पक्षों द्वारा बाल सैनिकों की भर्ती भी बेहद चिन्ताजनक है.”

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इस बीच, सूडान में आपात स्थिति पर सोमवार को पेरिस में अन्तरराष्ट्रीय दानदाताओं का सम्मेलन आरम्भ हुआ, जहाँ यूएन मनावाधिकार उच्चायुक्त ने और रक्तपात होने की आशंका जताई. इससे ठीक पहले, अर्द्धसैनिक बल (RSF) के ख़िलाफ़ लड़ाई में, तीन सशस्त्र समूहों ने सूडानी सेना का साथ देने और "आम नागरिकों को हथियारों से लैस करने” की घोषणा की थी.

15 अप्रैल 2023 को लड़ाई शुरू होने से अब तक, 80 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें से लगभग 20 लाख लोगों ने भागकर पड़ोसी देशों में शरण ली है.

यूएन उच्चायुक्त ने कहा, “लगभग 1 करोड़ 80 लाख लोग गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जिनमें 1 करोड़ 40 लाख बच्चे हैं. इसके अलावा, 70 प्रतिशत अस्पताल सेवा योग्य नहीं बचे हैं और संक्रामक बीमारियों का ख़तरा बढ़ता जा रहा है.” 

उन्होंने कहा कि इस विपत्तिपूर्ण स्थिति को जारी नहीं रहने दिया जाना होगा.  

भुखमरी का ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने इन्ही चिन्ताओं को दोहराते हुए कहा कि लगभग 89 लाख बच्चे, अचानक फैली खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं; जिसमें 49 लाख आपात स्थिति के स्तर पर पहुँच चुके हैं.

यूनीसेफ़ ने रविवार को जारी एक वक्तव्य में कहा, "इस साल पाँच साल से कम उम्र के लगभग चालीस लाख बच्चों के अचानक कुपोषण से पीड़ित होने का अनुमान है, जिसमें जानलेवा गम्भीर कुपोषण के शिकार 7 लाख 30 हज़ार बच्चे शामिल हैं.

यूनीसेफ़ के उप कार्यकारी निदेशक, टेड चायबान ने कहा, "गम्भीर कुपोषण से पीड़ित लगभग आधे बच्चे ऐसे क्षेत्रों में हैं, जहाँ पहुँचना बेहद कठिन है" और जहाँ अभी लड़ाई जारी है.

"अगर संघर्षरत पक्ष हमें अपना मानवीय जनादेश पूरा करने, व राहत सहायता का राजनीतिकरण किए बिना, ज़रूरतमन्द समुदायों तक पहुँचने की अनुमति दें, तो इससे बचा जा सकता है, और ज़िन्दगियों की रक्षा करना सम्भव हो सकता है.

निशाने पर नागरिक शासन 

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी ने पूर्व प्रधान मंत्री अब्दुल्ला हमदोक और कुछ अन्य लोगों के विरुद्ध कथित तौर से निराधार आरोपों पर गिरफ़्तारी वॉरंट जारी किए जाने पर भी क्षोभ व्यक्त किया.

वोल्कर टर्क ने ज़ोर देते हुए कहा, "सूडानी अधिकारियों को तुरन्त गिरफ़्तारी वॉरंट रद्द करने चाहिए... और इसके पहले क़दम के तौर पर युद्धविराम की दिशा में भरोसा क़ायम करने के उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए. 

इसके बाद हिंसक टकराव का व्यापक समाधान और नागरिक सरकार की बहाली करनी होगी." 

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र मानवतावादियों ने दोहराया है कि भुखमरी व कुपोषण से, बच्चे "बीमारियों व मौत के प्रति अधिक सम्वेदनशील" होते जा रहे हैं.

यूनीसेफ़ के मुताबिक़, संघर्ष के कारण सूडान में टीकाकरण कवरेज और पीने के पानी तक सुरक्षित पहुँच भी बाधित हुई है, जिससे पहले से ही हैजा, खसरा, मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों के प्रति सम्वेदनशील लाखों बच्चों का जीवन ख़तरे में पड़ गया है.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने अन्तरराष्ट्रीय सहायता पहुँचाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, "देश में अभाव के दौर में, ख़ासतौर पर आन्तरिक रूप से विस्थापित बच्चों के बीच मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी होने से, बड़ी संख्या में जनहानि सम्भव है."

"सूडान में बुनियादी प्रणालियाँ और सामाजिक सेवाएँ ढहने के कगार पर हैं, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को एक साल से तनख़्वाह नहीं मिली है, ज़रूरी सामग्री ख़त्म हो गई है, और अस्पतालों व स्कूलों समेत सभी बुनियादी ढाँचे पर हमले जारी हैं."

33 वर्षीय मरियम जिमे एडम, चाड में एड्रे के माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में बैठी हैं. वह अपने 8 बच्चों के साथ सूडान से यहाँ पहुँची हैं.
© UNICEF/Mahamat

बन्द हुए स्कूल 

सूडान की आधी आबादी को फ़िलहाल मानवीय राहत की ज़रूरत है, और आशंका है कि लड़ाई पूरे देश में फैल सकती है. आपात स्थिति में शिक्षा के लिए वैश्विक कोष, Education Cannot Wait ने आगाह किया है कि विस्थापित 80 लाख लोगों में से 40 लाख, हिंसा से विस्थापित हुए बच्चे हैं.

Education Cannot Wait की कार्यकारी निदेशक, यासमीन शैरिफ़ ने कहा, "संघर्ष में पहले ही अनुमानत: 14 हज़ार से अधिक बच्चे, महिलाएँ एवं पुरुष मारे जा चुके हैं और निर्दोषों की मौत हो जारी है."

यासमीन शैरिफ़ ने इस बात पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि सूडान अब दुनिया के सबसे ख़राब शिक्षा संकटों में से एक बन चुका है, जहाँ देश के 1 करोड़ 90 लाख स्कूली बच्चों में से 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे, औपचारिक शिक्षा से वंचित हो गए हैं.

उन्होंने कहा, "देश भर में अधिकाँश स्कूल बन्द हो गए हैं या दोबारा खुलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे लगभग 1 करोड़ 90 लाख स्कूली बच्चों की पढ़ाई-लिखाई छूटने का ख़तरा है."

अभी तक, वैश्विक कोष ने सूडान, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, चाड, मिस्र, इथियोपिया एवं दक्षिण सूडान में संकट पीड़ितों की शिक्षा के लिए, लगभग 4 करोड़ डॉलर प्रदान किए हैं.

यासमीन शैरिफ़ ने कहा, "तात्कालिक अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई के बिना, यह आपदा पूरे देश को अपनी चपेट में ले सकती है. चूँकि शरणार्थी भागकर पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं, इससे पड़ोसी देशों पर इसका और भी अधिक विनाशकारी असर पड़ सकता है."