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भारत: उत्थान ने जगाया दरियादिली का अहसास

सफ़ाई साथी, अहमद अली को इस बात की ख़ुशी है, कि उनके छोटे-छोटे प्रयास, उनके ग्रह, और ख़ासतौर पर उनके शहर को साफ़ व स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.
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सफ़ाई साथी, अहमद अली को इस बात की ख़ुशी है, कि उनके छोटे-छोटे प्रयास, उनके ग्रह, और ख़ासतौर पर उनके शहर को साफ़ व स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.

भारत: उत्थान ने जगाया दरियादिली का अहसास

आर्थिक विकास

 दिल्ली में रहने वाले एक सफ़ाई साथी अहमद अली, अब अपने निवास स्थान के कल्याण के लिए तत्पर हैं. उनके भीतर दरियादिली की ये भावना, ख़ासतौर से, भारत में यूएनडीपी द्वारा चलाई गई उत्थान परियोजना के ज़रिए मज़बूत हुई है. इस पहल का मक़सद है सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच व आजीविका के सहनसक्षम स्रोतों में वृद्धि के ज़रिए, सफ़ाई कर्मियों को सशक्त बनाना.

अहमद अली का जन्म असम में हुआ था, लेकिन रोज़गार की तलाश में वो 20 साल पहले दिल्ली आए थे. तब से दिल्ली ही उनका घर है. अहमद अली ने, दिल्ली में जीवनयापन के लिए कई तरह के कामकाज किए.

वो बताते हैं, “कुछ वर्ष यहाँ रहने के बाद मैं अपने परिवार के साथ यहीं बसना चाहता था. इस शहर ने मुझे भविष्य के लिए बहुत उम्मीदें दी हैं. बदले में, मैं चाहता था कि अपनी क्षमतानुसार शहर को कुछ वापस दे सकूँ. इसलिए, मैंने इसकी साफ़-सफ़ाई का काम आरम्भ कर दिया, कचरा इकट्ठा करके."

अहमद अली, फ़िलहाल अपनी पत्नी, मरियम निशा के साथ एक सफ़ाई साथी के रूप में काम करते हैं. पति-पत्नी दोनों ही, सामग्री पुनर्चक्रण की एक निजी सुविधा में काम करते हैं, लेकिन कभी-कभी आस-पास के निर्माण स्थलों से स्वयं भी कचरा इकट्ठा करते हैं. 

उन्होंने बताया कि महामारी के बाद से उनकी आर्थिक कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं और वो ठेकेदार द्वारा दिया गया कोई भी काम करने के लिए तैयार रहते हैं. अहमद अली बताते हैं, “महामारी के दौरान हमारे पास कोई काम नहीं था. हमें अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था. यहाँ तक कि जीवित रहने के लिए हमें थोड़ा धन उधार भी लेना पड़ा."

कोविड से निकली नई राह

भारत में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने उत्थान परियोजना की शुरुआत कोविड-19 का मुक़ाबला करने की पहल के रूप में की थी. इसका उद्देश्य, सफ़ाई साथियों के बीच भोजन, स्वास्थ्य, सुरक्षा और वित्तीय समावेशन के लिए बनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाना और उन तक बेहतर पहुँच प्रदान करना था.

उनके अनुसार, हालाँकि कोविड के दौरान उन्हें लगातार भोजन सामग्री और दवाओं की मदद मिल रही थी, लेकिन महामारी के कठिन समय में जीवित रहने के लिए यह अपर्याप्त थी. 

मैंने बहुत सारे सफ़ाई साथियों को काँच या धातु के टुकड़ों पर पैर पड़ने से घायल होते देखा है, जो संक्रमण व अन्य जटिलताओं का कारण बनकर, उन पर ख़र्चे का दबाव बढ़ाता है.”

उन्होंने बताया, “जब हमने उत्थान के एक समुदायिक शिविर का दौरा किया, तो हमारा मक़सद केवल स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त करना ही था, जिससे किसी आपातस्थिति में अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकें.” लेकिन शिविर में उन्हें अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं के बारे में जागरूक किया गया.

इसके बाद, अहमद और मरियम दोनों ने, E-Shram में भी नामांकन कराया और अपना आधार कार्ड अपडेट किया, साथ ही उसे उनके पैन कार्ड व मौजूदा बैंक खाते के साथ जोड़ा.

अहमद कहते हैं, “उत्थान टीम के सदस्यों की मदद से हमने अपने आधार कार्ड को अपने बैंक खाते से जोड़ा, जिससे पीएम जन धन योजना के तहत सरकार से हमें अपने बैंक खाते में 500 प्राप्त हुए.”

इस धन से वो अपने मौजूदा ऋणों का भुगतान कर सके, और क़र्ज़-मुक्त होने पर, अब बचत भी कर रहे हैं, “मेरे कन्धे से बहुत बड़ा ऋण का भार उतर गया, जिसे चुकाने के लिए मुझे लगातार संघर्ष करना पड़ता था.”

अहमद का कहना है कि वो अपने काम का महत्व समझते हैं कि सफ़ाई साथियों द्वारा अपशिष्ट पृथक्कीरण किस तरह पुनर्चक्रण में मदद करता है, और इससे अन्ततः पर्यावरण को लाभ पहुँचता है.

उन्हें इस बात की ख़ुशी है, कि उनके छोटे-छोटे प्रयास, उनके ग्रह, और ख़ासतौर पर उनके उस शहर को साफ़ व स्वस्थ रखने में मदद करते हैं, जिसे वो बेहद प्यार करते हैं.

राजधानी दिल्ली मुझ पर हमेशा बहुत मेहरबान रही है. मुझे उम्मीद है कि मैं अपमे काम के ज़रिए, शहर का कुछ अहसान चुका पा रहा हूँ.”