वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

भारत: सहनक्षमता के ज़रिए, जीवन का ‘उत्थान’, रूपा की आपबीती

रूपा देवी: बेटी की शिक्षा का बीड़ा
UNDP India
रूपा देवी: बेटी की शिक्षा का बीड़ा

भारत: सहनक्षमता के ज़रिए, जीवन का ‘उत्थान’, रूपा की आपबीती

महिलाएँ

भारत में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, यूएनडीपी की 'उत्थान’ परियोजना, एक शहरी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम है, जिसे कोविड के दौरान सफ़ाई साथियों के लिए आरम्भ किया गया था. उत्थान पहल, 2022 में शुरू होने के बाद से लगभग साढ़े 11 हज़ार सफ़ाई साथियों को, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में शिक्षित करने व उन तक पहुँचने में सफल हुई है. इस कार्यक्रम से लाभ उठाने वाली एक महिला सफ़ाई कर्मी, रूपा देवी की आपबीती.

रूपा और उनके परिवार को तब गुज़र-बसर करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा, जब वो एक अनजान जगह चले गए थे, जहाँ उनके पास कामकाज ढूँढने में मदद करने के लिए, न तो कोई दोस्त थे, और न ही कोई सम्बन्धी.

उन्होंने, बिना किसी प्रशिक्षण या अनुभव के, सड़कों से कचरा इकट्ठा करने का काम शुरू कर दिया. हालाँकि, बाद में, उन्हें एक स्थानीय सामग्री बहाली सुविधा में, अपशिष्ट पृथक्करण कर्ता के रूप में काम मिल गया.

बहाली सुविधा में काम करते हुए, अन्य सफ़ाई साथियों ने, रूपा की भेंट, बाल विकास धारा (BVD) नामक ग़ैर-सरकारी संगठन से कराई, जो दिल्ली में कचरा श्रमिकों को सहायता प्रदान करने का काम करता है. इस संगठन ने, महामारी के दौरान सफ़ाई साथियों और उनके परिवारों को सहायता एवं कई तरह के साधन प्रदान किए.

यूएनडीपी इंडिया के प्रोजेक्ट उत्थान की पहल के ज़रिए, रूपा की बड़ी बेटी का स्थानीय नगरपालिका स्कूल में दाख़िला होने में मदद मिली.
UNDP India

रूपा ने बताया, “तालाबन्दी के दौरान हम अकेले और असहाय महसूस कर रहे थे. चूँकि हमारे पास कोई काम नहीं था, इसलिए हमारी बचत भी ख़त्म होती जा रही थी. हमारे पास अपने बच्चों का पेट भरने के लिए भोजन तक नहीं था. लेकिन बाल विकास धारा से मिली मदद की बदौलत, हमारा जीवन बच गया. हमें राशन व अन्य सामग्री मिली, और उन्होंने हमारे बच्चों को शिक्षा एवं अभ्यास कार्यों में व्यस्त रखा.” 

बीवीडी ने सफ़ाई साथियों के लिए कोविड-19 टीकाकरण शिविरों का भी आयोजन किया. बिहार की 26 वर्षीय प्रवासी रूपा बताती हैं, ''हम अपने बच्चों के लिए, अपने निवास स्थल से बेहतर जीवन पाने की कामना के साथ दिल्ली आए थे.''

संगठन के ज़रिए ही सफ़ाई साथियों को यूएनडीपी इंडिया की ‘उत्थान’ परियोजना के बारे में पता चला, जिसका उद्देश्य ख़ासतौर पर महामारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक उनकी पहुँच बढ़ाना था.

बाल विकास धारा की परियोजना टीम ने, रूपा को अपने बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र और बाल आधार कार्ड हासिल करने में मदद की. साथ ही उनके पति, गोविन्द का बैंक खाता खोलने में भी मदद की. गोवन्द स्वयं भी एक सफ़ाई साथी हैं,

बैंक खाता होने से रूपा और उसके परिवार को स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर वित्तीय समावेशन तक, कई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच हासिल हुई.
UNDP India

रूपा कहती हैं, “बैंक खाते में हम कुछ धन की बचत कर सकेंगे और उस बचत को सावधानीपूर्वक अपने बच्चों के भविष्य के लिए उपयोग करेंगे.” 

परियोजना ने उन्हें अपने आधार व पैन कार्ड को जोड़ने और eShram एवं स्वास्थ्य कार्ड के पंजीकरण करने में भी मदद की.उत्थान परियोजना और बाल विकास धारा की पहल से, अन्ततः रूपा की बड़ी बेटी को स्थानीय नगरपालिका स्कूल में दाख़िला मिल गया.

रूपा बताती हैं कि दिन का उनका पसन्दीदा समय वह होता है, जब वह अपनी बेटी को स्कूल के लिए तैयार करती हैं. “इससे मुझे बहुत गर्व महसूस होता है. उनकी बेटी, प्रतिभाशाली छात्र होने के कारण, अपने भाई-बहनों और पड़ोस के बच्चों के लिए एक प्रेरणा हैं.

उत्साहित रूपा बताती हैं, “जब हम पहली बार बैंक के एटीएम में गए और हमारी बेटी ने हमें कार्ड का उपयोग करना सिखाया, तो हम चकित रह गए और हमें बहुत गर्व महसूस हुआ, क्योंकि वह एटीएम स्क्रीन पर अंग्रेजी अक्षरों को समझ पा रही थी.” 

“मेरी बेटी ने हमें अपना नाम अंग्रेज़ी में लिखना भी सिखाया. जब मेरी बेटी को स्कूल में दाख़िला मिला, तो ऐसा लगा मानो हमारे सपने सच हो गए.”