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'आज़ादियाँ क़ायम रखें, मानवाधिकार वादे पूरे करें'

यूएन मानवाधिकार घोषणा-पत्र का एक आरम्भिक मसौदा.
UN Photo/Greg Kinch
यूएन मानवाधिकार घोषणा-पत्र का एक आरम्भिक मसौदा.

'आज़ादियाँ क़ायम रखें, मानवाधिकार वादे पूरे करें'

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को विश्व नेताओं से, मानवाधिकारों को क़ायम रखने, युद्धों को रोकनेनफ़रत का मुक़ाबला करनेविश्वास के पुनर्निर्माण और सर्वजन के लिए एक स्थाई भविष्य का निर्माण करने के एक रोडमैप के रूप में, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) पर विश्वास रखने का आहवान किया है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक उच्च-स्तरीय कार्यक्रम में एक वीडियो सन्देश में याद किया कि यह ऐतिहासिक दस्तावेज़, मानवता के लिए "आशा की किरण" और मौलिक स्वतंत्रता का ख़ाका पेश करता है.

उन्होंने आग्रह करते हुए कहा, "जैसा कि हम इस वर्ष इस घोषणा की 75वीं वर्षगाँठ का जश्न मना रहे हैं, मैं प्रत्येक सदस्य देश से इस अवसर और अगले वर्ष के भविष्य के शिखर सम्मेलन का उपयोग, सार्वभौमिक मानवाधिका घोषणा के मूल्यों और सिद्धान्तों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मज़बूत करने के लिए करने का आहवान करता हूं."

उन्होंने कहा, “आइए हम सर्वजन के लिए मानव अधिकारों, स्वतंत्रता और समानता को बनाए रखने और बढ़ावा देने का प्रयास करें. हम साथ मिलकर, मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के वादे को साकार कर सकते हैं.”

ठोस प्रतिज्ञाएँ

11 और 12 दिसम्बर को जिनीवा में दो दिवसीय कार्यक्रम में, देशों के लिए मानवाधिकार संरक्षण को आगे बढ़ाने के वास्ते, ठोस प्रतिबद्धताओं की घोषणा करने के लिए, दो प्रमुख संकल्प सत्र आयोजित किए जाएंगे.

'मानवाधिकारों की रक्षा में आवाज़ें' शीर्षक वाले खंडों में, प्रतिभागियों से मानवाधिकार घोषणा के प्रभाव पर अपने अनुभव और दृष्टिकोण साझा करने की अपेक्षा की जाती है. 

चुनौतियों की पड़ताल करने वाले और मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता व अविभाज्यता पर आगे बढ़ने के रास्ते और मानवाधिकार प्रणाली को कैसे मज़बूत किया जाए, इस पर विचार करने वाले विशेषज्ञों के साथ, एक पैनल चर्चा भी आयोजित की जाएगी.

देश अध्यक्षों के साथ एक सत्र मंगलवार को आयोजित किया जाएगा, जिसके बाद शान्ति और सुरक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकियों, जलवायु और पर्यावरण, और विकास और अर्थव्यवस्था पर गोलमेज़ बैठकें होंगी.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क, जिनीवा में एक मानवाधिकार कार्यक्रम में.
© OHCHR/Irina Popa

प्रगति के बावजूद विफलताएँ

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने भी उद्घाटन सत्र में कहा कि मानवाधिकार सार्वभौमिक घोषणा, जहाँ दुनिया भर में परिवर्तनकारी सामाजिक प्रगति का स्रोत रही है, वहीं पिछले 75 वर्षों में "मानवाधिकारों को बनाए रखने में बहुत सी विफलताएँ" भी देखी गई हैं.

उन्होंने कहा, “मेरी संवेदनाएं इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र, विशेष रूप से ग़ाज़ा और इसराइल; सूडान; यूक्रेन; म्याँमार; और अनेक अन्य स्थानों में रहने वाले, असहनीय रूप से पीड़ित लाखों लोगों के साथ हैं.” 

वोल्कर टर्क ने  मानवाधिकार घोषणा की विविधतापूर्ण जड़ों की पुष्टि की, जिसमें होलोकॉस्ट की भयावहता पर दुनिया की प्रतिक्रिया, हेती की क्रान्ति, "परस्पर निर्भरता, सहयोग और सामूहिक ज़िम्मेदारी के गहन अफ़्रीकी मूल्य" और इस्लामी ज़कात सिद्धान्त, या दयालु साझाकरण व, अन्य मानवीय मूल्य शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र अधिकार प्रमुख ने कहा कि घोषणा की सार्वभौमिकता ने इसे दुनिया की सबसे गम्भीर चुनौतियों को हल करने के लिए एक मार्गदर्शक बना दिया है, और इसकी वर्षगाँठ, एक साथ काम करने और सभी निर्णयों को "प्रत्येक मानव जीवन के आधारभूत और समान मूल्य पर आधारित" करने का आहवान है.