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‘डूब रहे हैं दुनिया के अन्न टोकरी देश’, महासभा अध्यक्ष

भारत में बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण तटीय इलाक़ों की रक्षा के लिए उपाय किये जा रहे हैं.
Climate Visuals Countdown/Debsuddha Banerjee
भारत में बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण तटीय इलाक़ों की रक्षा के लिए उपाय किये जा रहे हैं.

‘डूब रहे हैं दुनिया के अन्न टोकरी देश’, महासभा अध्यक्ष

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने गुरूवार को आगाह करते हुए कहा है कि लघु द्वीपीय देशो वैसे तो बढ़ते समुद्री जल स्तरों के हानिकारक प्रभावों की चपेट में आने के लिए बहुत संवेदनशील हैं, मगर उन प्रभावों का दायरा उससे कहीं अधिक है.

डेनिस फ्रांसिस ने यूएन मुख्यालय में आयोजित एक विशेष शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि वह ये सुनिश्चित करने के लिए संकल्पबद्ध हैं कि इस मुद्दे को, उनकी अध्यक्षता के दौरान समुचित ध्यान मिले.

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यूएन महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस त्रिनिदाद और टोबेगो के वयोवृद्ध राजनयिक हैं.

कोई अतिश्योक्ति नहीं

बहुत से देशों के लिए, विशेष रूप में लघु द्वीपीय विकासशील देशों के लिए तो ये मुद्दा, एक अस्तित्व सम्बन्धी जोखिम से जुड़ा हुआ है.

महासभा अध्यक्ष ने जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल के आँकड़ों का सन्दर्भ देते हुए कहा कि ये कोई अटकलबाज़ी नहीं और ना ही कोई अतिश्योक्ति है. ये वास्तविकता है.

यह कोई हमारी समस्या नहीं है

डेनिस फ़्रांसिस ने कहा कि निम्न तटीय इलाक़ों में रहने वाले लगभग 90 करोड़ लोग, बढ़ते समुद्री स्तरों और अन्य जलवायु प्रभावों के कारण अपने घर गँवाने के कगार पर हैं. उन्होंने कहा कि ये मुद्दा तटीय इलाक़ों में रहने वाले समुदायों से भी परे का है.

महासभा अध्यक्ष ने कहा कि कोई भी समुदाय, त्रासदी की सम्भावना से सुरक्षित नहीं है, मिसीसिपी, मेकाँग, और नील नदियों जैसे जलक्षेत्र भी डूब रहे हैं, जिन्हें दुनिया की अन्न टोकरियाँ कहा जाता है.

सामूहिक महत्वाकांक्षा की दरकार

डेनिस फ़्रांसिस ने कहा कि समुद्रों बढ़ते स्तर के विध्वंस प्रभाव आजीविकाओं और समुदायों पर पड़ने से भी आगे, इनके घातक परिणाम हो रहे हैं, जिनमें पर्यावरणीय, क़ानूनी, राजनैतिक, तकनीकी, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवाधिकार सम्बन्धी आयाम शामिल हैं. 

उन्होंने कहा, “हम ना केवल भूमि को गँवा देने के जोखिम में हैं, बल्कि इन द्वीपों और क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को भी खो देने के ख़तरे का सामना रहे हैं, जिन्होंने लोगों की पहचान को आकार देने में मदद की है.”

उन्होंने नेताओं से अपनी सामूहिक महत्वाकांक्षा का स्तर उठाने और बहुप्रतीक्षित कार्रवाई करने का आग्रह किया. 

डेनिस फ़्रांसिस ने इस कार्रवाई को, आगामी 30 नवम्बर को होने वाले कॉप28 और 2024 में होने वाले लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) के सम्मेलन के एजेंडा में ऊपर धकेलने का भी आहवान किया.