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सूडान: हिंसक टकराव के 100 दिन; बाल मौतों में वृद्धि, शरणार्थियों के लिए हालात से गहराई चिन्ता

2 मई 2023 को, एक माता-पिता सूडान के फाशीर प्रजनन स्वास्थ्य केंद्र में इन्तज़ार करते हुए. केंद्र को यूनिसेफ से WASH और स्वास्थ्य आपूर्ति प्राप्त हुई है.
© Mohamed Zakaria/UNICEF
2 मई 2023 को, एक माता-पिता सूडान के फाशीर प्रजनन स्वास्थ्य केंद्र में इन्तज़ार करते हुए. केंद्र को यूनिसेफ से WASH और स्वास्थ्य आपूर्ति प्राप्त हुई है.

सूडान: हिंसक टकराव के 100 दिन; बाल मौतों में वृद्धि, शरणार्थियों के लिए हालात से गहराई चिन्ता

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने सोमवार को बताया कि सूडान में मध्य-अप्रैल में शुरू हुई लड़ाई के बाद से अब तक, हिंसक टकराव के 100 दिनों में कम से कम 435 बच्चों की मौत हुई है और दो हज़ार से अधिक बच्चे घायल हुए हैं.

यूएन एजेंसी के अनुसार, सूडान में बाल अधिकार उल्लंघन के ढाई हज़ार से अधिक गम्भीर मामलों का पता चला है, यानि औसतन हर एक घंटे में एक से अधिक मामला. देश में फ़िलहाल एक करोड़ 40 लाख युवाओं को तत्काल जीवनरक्षक सहायता की आवश्यकता है. 

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यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जो इंग्लिश ने यूएन न्यूज़ को बताया, "सूडान में हिंसक टकराव भड़कने के 100 दिन से अधिक हो रहे हैं और हम जानते हैं कि इसका बच्चों व परिवारों पर बहुत भयावह असर हो रहा है."

स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चिन्ता  

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने देश में स्वास्थ्य हालात पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि व्हाइट नाइल राज्य में विस्थापन का शिकार लगभग 300 बच्चों की ख़सरे और कुपोषण के कारण मौत हो गई है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सात लाख 40 हज़ार से अधिक शरणार्थियों ने सूडान से भाग कर पड़ोसी देशों में शरण ली है, और उनके लिए चिन्ता गहरा रही है. 

शरणार्थी मामलों के लिए यूएन उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने इस हिंसक टकराव में शामिल सभी पक्षों से आग्रह किया है कि इस त्रासदीपूर्ण युद्ध का तत्काल अन्त किया जाना होगा. 

यूएन शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, सुरक्षा की तलाश में पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर लोगों के लिए ‘भयावह’ परिस्थितियाँ है. शरणार्थी शिविरों में अत्यधिक भीड़ है और बारिश के मौसम में पुनर्वास और राहतकर्मियों के लिए जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने का कार्य और अधिक कठिन हो गया है.

बच्चों का ध्यान रखने वाला कोई नहीं

15 अप्रैल को परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच शरू हुए हिंसक टकराव के बाद से अब तक 33 लाख से अधिक लोग देश की सीमाओं के भीतर और मिस्र समेत अन्य देशों में विस्थापित हुए हैं. यूएन एजेंसी ने बताया कि अधिकाँश बच्चे अपने माता-पिता के बिना ही पहुँच रहे हैं.

शरणार्थी एजेंसी ने अपने एक वक्तव्य में कहा, “मारे गए या घायल हुए हर एक बच्चे के साथ, हम जानते हैं कि अनेक अन्य को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उनके लिए अति-आवश्यक सेवाएँ भी सुलभ नहीं है.” 

यूएन बाल कल्याण कोष ने बच्चों व उनके परिवारों तक सुरक्षित, निर्बाध ढंग से पहुँच सुनिश्चित करने की अपील की है ताकि उन्हें हरसम्भव समर्थन दिया जा सके.

अफ़्रीकी संघ, अन्तर-सरकारी विकास प्राधिकरण (IGAD) क्षेत्रीय निकाय, अरब देशों की लीग और संयुक्त राष्ट्र ने टकराव का अन्त करने के लिए गहन कूटनैतिक प्र

यास जारी रखे हैं. इसके बावजूद, सूडानी सशस्त्र सेनाओं (SAF) और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच अनेक मोर्चों पर संघर्ष जारी है. यूएन उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने शान्तिपूर्ण सम्वाद के लिए अपना समर्थन देते हुए उसकी आवश्यकता को रेखांकित किया है. 

उन्होंने कहा कि हिंसक संघर्ष वाले क्षेत्रों में फँसे लोगों को, देश के भीतर या फिर सीमाओं से परे, सुरक्षित इलाक़ों तक जाने की अनुमति दी जानी होगी. साथ ही, उन्हें "सभी प्रकार की हिंसा से" बचाया जाना होगा.

सूडान में बढ़ती मानवीय राहत आवश्यकताओं के बीच अब तक, मानवीय सहायता योजना के लिए, आवश्यक धनराशि में से केवल 23 प्रतिशत का ही प्रबन्ध हो पाया है. 

UNHCR और UNICEF ने तत्काल सबसे कमज़ोर समुदायों तक मदद पहुँचाने के लिए अधिक सहायता धनराशि दिए जाने की पुकार लगाई है. ये लोग तीन महीनों से, राजधानी ख़ारतूम के आसपास के इलाकों में और दारफ़ूर व अन्य क्षेत्रों में पाँव पसार रही इस लड़ाई से जूझ रहे हैं.