वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

नफ़रत को दूर धकेलना होगा, मिशेल बाशेलेट

नफ़रत के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाने के लिये, न्यूयॉर्क के एक यहूदी धर्मस्थल - सिनेगॉग में एक अन्तर धार्मिक सभा का आयोजन. (31 अक्तूबर 2018)
UN Photo/ Rick Bajornas
नफ़रत के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाने के लिये, न्यूयॉर्क के एक यहूदी धर्मस्थल - सिनेगॉग में एक अन्तर धार्मिक सभा का आयोजन. (31 अक्तूबर 2018)

नफ़रत को दूर धकेलना होगा, मिशेल बाशेलेट

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि नस्लभेद और ख़ुद से भिन्न लोगों के लिये नफ़रत का फैलाव (Xenophobia) अपने सिर फिर तेज़ी से उठा रहे हैं. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान योरोप में यहूदियों के जनसंहार – हॉलोकॉस्ट की याद में, 27 जनवरी को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय दिवस के इस सन्दर्भ में कहा है कि यहूदियों के स्थलों पर हिंसक हमले हो रहे हैं और अनेक देशों में यहूदी विरोधवाद की घटनाएँ देखी गई हैं.

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि यहूदी विरोधवाद के षडयंत्रों के अन्तर्गत, कोविड-19 महामारी के फैलने की ज़िम्मेदारी यहूदियों पर डालने के मामले देखे गए हैं. 

उन्होंने कहा कि 1930 की ही तरह, आज भी झूठ, नफ़रत, दोषारोपण (बलि का बकरा बनाया जाना) और इनसानों को बदनाम व कलंकित करने का चलन उफान पर है, जिसने सामाजिक ताने-बाने के लिये गम्भीर ख़तरा पैदा कर दिया है. 

उन्होंने कहा, “हमें नफ़रत को परे धकेलना होगा. हमें सत्य के बचाव में खड़ा होना होगा – जिसमें इनसान होने के नाते, हमारी इनसानी समानता व सार्वभौमिक अधिकार हासिल होने का बुनियादी सत्य भी शामिल है.“

स्मृतियाँ

मिशेल बाशेलेट ने यहूदियो के जनसंहार – हॉलोकॉस्ट को भयावह हैवानियत का अपराध क़रार दिया और ध्यान दिलाया कि पूरे योरोप में, साठ लाख यहूदियों, रोमा और सिण्टी लोगों, दासों, विकलांगता वाले लोगों, एलजीबीटी लोगों, युद्ध बन्दियों और नाज़ी नैटवर्कों के विरोधी सदस्यों को क्रूरतापूर्वक मार दिया गया था.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख के अनुसार हॉलोकॉस्ट को याद करना एक अनिवार्य काम है क्योंकि इन अपराधों से ये झलकता है कि नफ़रत फैलाव के परिणामस्वरूप, कितनी घातक त्रासदियाँ उत्पन्न हो सकती हैं.

उन्होंने कहा, “ऐतिहासिक रिकॉर्ड को सहेज कर रखना और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने को चुनौती देना, इन प्रयासों का अहम हिस्सा है. अतीत, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की भलाई की ख़ातिर, हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि मानवता, इन भीषण और घातक अपराधों को कभी ना भूले.”

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ये भी आहवान किया कि हर एक व्यक्ति को झूठ और नफ़रत के भड़कावे का सामना करना होगा, जिसमें ऑनलाइन मंचों के ज़रिये फैलाई जा रही नफ़रत भी शामिल है.

साथ ही, इस सम्बन्ध में, सरकारों और सोशल मीडिया मंचों की विशेष ज़िम्मेदारी है.

वैश्विक प्राथमिकता

दक्षिणी पोलैण्ड में स्थित पूर्व ऑशवित्ज़-बर्केनाउ यातना शिविर.
Unsplash/Jean Carlo Emer
दक्षिणी पोलैण्ड में स्थित पूर्व ऑशवित्ज़-बर्केनाउ यातना शिविर.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भी इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, यहूदी विरोधवाद और धार्मिक व नस्लीय कट्टरता के तमाम रूपों से निपटने की अपनी पुकार दोहराई है. 

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार, शुरुआती रिपोर्ट्स दर्शाती हैं कि 2020, 2019 और 2018 की ही तरह वर्ष 2021 भी, यहूदी विरोधवाद के ऐतिहासिक उच्च स्तरों का साल रहा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य पूर्व में संघर्ष के साथ-साथ अक्सर वैश्विक स्तर पर यहूदी विरोधवाद में बढ़ोत्तरी देखी जाती है.

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ये भी माना है कि इसराइल सरकार की कार्रवाइयों व उसकी नीतियों के आलोचक, मानवाधिकार नज़रिये से वैध नज़र आते हैं, मगर उन्होंने इस सम्बन्ध में एक चेतावनी भी जारी की है.

उनका कहना है कि बहुत से मामलों में इसराइल के बारे में भड़काऊ बयानबाज़ी और वक्तव्यों को सार्वजनिक हस्तियों, शिक्षाविदों और अन्य प्रमुख हस्तियों का समर्थन हासिल होता है, जो इसराइल की कार्रवाइयों की आलोचना के स्तर से भी आगे चले जाते हैं. 

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है, “हमें खेद है कि संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ हस्तियों ने सदस्य देशों को, यूएन बैठकों में और अन्य अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर, यहूदी विरोधवाद की अभिव्यक्ति ना होने देने को कहा हुआ है, मगर इस चेतावनी पर कान नहीं धरे गए, और यहूदियों के ख़िलाफ़ नफ़रत का फैलाव यूँ ही जारी है.”

इस वक्तव्य पर धर्म व आस्था की स्वतंत्रता पर विशेष रैपोर्टेयर अहमद शहीद, सांस्कृतिक अधिकारों सम्बन्धी मामलों पर विशेष रैपोर्टेयर अलेक्ज़ेन्द्रा शान्थकी, न्यायेतर, त्वरित और मनमाने ढंग से हत्याओं सम्बन्धी मामलों पर विशेष रैपोर्टेयर मॉरिस टिडबॉल-बिन्ज़; और अल्पसंख्यक मुद्दों पर विशेष रैपोर्टेयर फ़र्नाण्ड डी वैरेनेस ने हस्ताक्षर किये.

विशेष रैपोर्टेयर जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किये जाते हैं. इनकी ज़िम्मेदारी किसी विशेष मानवाधिकार स्थिति की जाँच-पड़ताल करके, रिपोर्ट सौंपना होता है. ये पद मानद हैं और इन विशेषज्ञों को इनके कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र की तरफ़ से कोई वेतन नहीं मिलता है.