वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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पत्रकारों के सवालों के जवाब देते महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.
UN Photo/Manuel Elias

अविश्वास भरे माहौल में 'सबसे ज़्यादा बिकता है डर'

दुनिया भर में फैले डर और अविश्वास से पैदा होने वाले ख़तरों की चेतावनी देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वह यूएन को एक ऐसे मंच के रूप में फिर स्थापित करना चाहते हैं जिससे विश्व व्यवस्था में टूटे विश्वास को फिर कायम किया जा सके. नए साल में महासचिव गुटेरेश की यह पहली प्रेस वार्ता थी. 

सूडान की राजधानी खार्तूम का एक दृश्य.
WFP/Abeer Etefa

सूडान: प्रदर्शनकारियों पर 'अत्यधिक बल प्रयोग से यूएन चिंतित'

सूडान में खाद्य पदार्थों और ईंधन की किल्लत का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ ज़रूरत से ज़्यादा बल प्रयोग किए जाने और प्रदर्शनों में 24 लोगों की मौत पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने गहरी चिंता ज़ाहिर की है. 

कांगो के चार गांवों में हुई हिंसा से हज़ारों लोग विस्थापित.
UNHCR/Ley Uwera

कांगो में सामुदायिक हिंसा में 800 से ज़्यादा की मौत

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के अनुसार कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पश्चिमी इलाक़े में पिछले महीने हुई सामुदायिक हिंसा में 890 लोगों के मारे जाने की आशंका है.  रिपोर्टों के मुताबिक़ ये हिंसा 16 से 18 दिसंबर के दौरान माई-न्दोम्बे प्रांत के चार गांवों में बनुनु और बातेन्दे समुदायों के बीच हुई.

बुल्गारिया में रोमा समुदाय के बच्चे.
UNICEF/UNI154440/Pirozzi

टिकाऊ विकास लक्ष्यों के रास्ते में बाधाओं से जल्द निपटना ज़रूरी

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशलेट ने कहा है कि अपने नागरिकों के हितों की रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने में  कईं देश विफल हो रहे हैं. 2016 में सभी देशों ने बेहतरी के प्रयास का संकल्प लिया था लेकिन अभी प्रगति बहुत धीमी है जिसे तेज़ किए जाने की आवश्यकता है.

2019 के लिए अपनी योजना को साझा करते महासचिव गुटेरेश.
UN Photo/Eskinder Debebe

'वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए तेज़ गति से प्रयास करने होंगे'

संयुक्त राष्ट्र महासभा में सदस्य देशों को अपने संबोधन में महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने  21वीं शताब्दी की तीन मुख्य चुनौतियों - जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ विकास, और नई तकनीक का प्रसार - से निपटने के लिए नई ऊर्जा के साथ प्रयास करने पर बल देते हुए कहा कि यूएन बेहतर तरीक़ों से लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डो एस्पिनोसा.
UN Photo/Mark Garten

बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने पर ही आधारित है यूएन का काम

संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डो एस्पिनोसा ने कहा है कि दुनिया में बहुपक्षीय और क़ानून आधारित व्यवस्था तभी मज़बूत बन सकती है जब यूएन में नई ऊर्जा का संचार किया जाए. सदस्य देशों को अपनी प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कि यही उनकी पहली प्राथमिकता है.

मिस्र के बाद अब फ़लस्तीन को मिली जी-77 की अध्यक्षता.
UN Photo/Manuel Elias

जी-77 की अध्यक्षता फ़लस्तीन को मिलना 'ऐतिहासिक क्षण'

संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों के समूह जी-77 और चीन की बागडोर अब फ़लस्तीन के हाथों में आ गई है. इस अवसर पर आयोजित समारोह में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और महासभा की अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने जी-77 की अध्यक्षता फ़लस्तीन को मिलना एक ऐतिहासिक पल करार दिया है. 

लॉरेंट बाग्बो और चार्ल्स ब्ले गाउडे अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में सुनवाई के दौरान.
ICC-CPI

मानवता के विरूद्ध अपराध के आरोपों से आइवरी कोस्ट के पूर्व राष्ट्रपति बरी

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने आइवरी कोस्ट के पूर्व राष्ट्रपति लॉरेंट बाग्बो को मानवता के ख़िलाफ अपराध के आरोपों से बरी कर दिया है. पश्चिम अफ़्रीकी देश में 2010 में राष्ट्रपति चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी जिसमें तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे. 

हुदायदाह शहर में राशन वितरण का इंतज़ार करती महिलाएं.
WFP/Marco Frattini

छह महीने में पहली बार पश्चिमी यमन में मदद पहुंची

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को यमन में हिंसक संघर्ष से प्रभावित हज़ारों परिवारों तक राशन और अन्य राहत सामग्री पहुंचाने में सफलता मिल गई है. पिछले साल जुलाई के बाद यह पहली बार है जब लोगों को सहायता दी जा रही है जो शांति के लिए हो रहे प्रयासों का नतीजा है. 

ब्यूनस आयर्स की मेट्रो ट्रेन में पांच साल कि कियारा सस्ते सामान बेच कर कुछ पैसे जुटा रही हैं.
UNICEF/Sebastian Rich

बच्चों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने से 'दूर है' दुनिया

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशलेट ने कहा है कि कुछ सदस्य देश बच्चों को बेहतर भविष्य देने में अब भी पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं. ऐसे देशों में बच्चों की समय से पहले मौतें हो रही हैं या फिर वे ग़रीबी का शिकार हो रहे हैं.