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कंप्यूटर मॉनीटर पर कोड दर्शाए गए हैं.
Unsplash/Markus Spiske

अनेक देशों में निजता व डेटा सुरक्षा संबंधी क़ानूनों की कमी चिंताजनक

व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) के आँकड़े दर्शाते हैं कि दुनिया में लगभग एक तिहाई देशों में नागरिकों के ऑनलाइन डेटा व निजता की सुरक्षा के लिए क़ानून मौजूद नहीं हैं. वर्ष 2015 से 2020 तक डेटा संरक्षण और निजता संबंधी क़ानूनों को अपनाने वाले देशों में 11 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन इसके बावजूद महज़ 66 फ़ीसदी देशों में ही महत्वपूर्ण साइबर उपाय लागू किए गए हैं. 

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश वर्चुअल प्रैस वार्ता को संबोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe

कोविड-19: प्राथमिकताएँ: वैश्विक युद्धविराम, निर्बलों की मदद, पुनर्बहाली की योजना

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरुवार को एक वर्चुअल प्रैस वार्ता के दौरान कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई को जीतने का संकल्प दोहराया है. उन्होंने कहा कि इस विकराल चुनौती से निपटने के लिए यूएन प्रणाली तीन मुख्य आयामों पर ध्यान केंद्रित कर रही है: वैश्विक युद्धविराम को लागू करना; सबसे नाज़ुक हालात में रह रहे लोगों की मदद सुनिश्चित करना; और आर्थिक व सामाजिक पुनर्बहाली की योजना तैयार करना.

स्कूलों में बच्चों के लिए ज़रूरी सेवाओं का इंतज़ाम सुनिश्चित करना अहम बताया गया है.
© UNICEF/Alessio Romenzi

कोविड-19: स्कूल फिर से खोलने के लिए नए दिशा-निर्देश

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से बचाव के लिए ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र दुनिया के अनेक देशों में स्कूल बंद किए गए हैं जिससे बच्चों की शिक्षा, संरक्षण और स्वास्थ्य-कल्याण के लिए अभूतपूर्व जोखिम पैदा हुआ है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने गुरुवार को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जो बताते हैं कि तालाबंदी से प्रभावित एक अरब से ज़्यादा बच्चों के लिए स्कूल फिर किस तरह खोले जा सकते हैं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चरणबद्ध ढंग से पाबंदियों को हटाने पर ज़ोर दिया है.
Wang Zhihong

कोविड-19: ‘हमने हिम्मत नहीं हारी है, ना हारेंगे’

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 पर क़ाबू पाने के लिए संगठन ने शुरू से ही त्वरित और निर्णायक प्रयास करते हुए देशों को असरदार कार्रवाई के लिए तैयार होने में मदद की है. कोरोनावायरस को अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली स्वास्थ्य एमरजेंसी घोषित किए जाने को गुरुवार 30 अप्रैल को तीन महीने पूरे हो रहे हैं और इसी सिलसिले में आपात समिति की बैठक बुलाई गई है. 

बांग्लादेश में यूएनडीपी के सहयोग से सामुदायिक कार्यकर्ता साफ़-सफ़ाई के पैकेट बाँट रहे हैं और लोगों में कोविड-19 की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद कर रहे हैं.
UNDP/Fahad Kaizer

कोविड-19: विशेष टास्कफ़ोर्स करेगी 135 देशों की ख़ास मदद

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 का मुक़ाबला कर रहे कम से मध्य आय वाले 135 देशों में महत्वपूर्ण चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में एक बड़ा कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसका नाम कोविड-19 टास्कफ़ोर्स है.

कज़ाख़स्तान के तुर्केस्तान शहर एक प्राथमिक स्कूल में दोपहर का भोजन करते बच्चे.
© UNICEF/Kaliyev

कोविड-19: स्कूली आहार बंद होने से 37 करोड़ बच्चों पर संकट

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण दुनिया के अनेक देशों में भुखमरी से पीड़ित लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने की आशंका से चिंता व्याप्त है. तालाबंदी के कारण स्कूल भी बंद हैं जिसके कारण करोड़ों बच्चे प्रभावित हुए हैं, ख़ासकर वो बच्चे जो अपने भोजन के लिए स्कूलों में मिलने वाले आहार पर निर्भर थे. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने सरकारों से ऐसे 37 करोड़ बच्चों की स्वास्थ्य व पोषण संबंधी ज़रूरतों का ध्यान रखे जाने की अपील की है जिसके अभाव में उनके भविष्य पर हानिकारक असर होगा. 

घाना के आकरा की एक फ़ैक्ट्री में युवा श्रमिक परिधान तैयार कर रहे हैं.
World Bank/Dominic Chavez

कोविड-19: कामगारों की आधी आबादी पर आजीविका का संकट

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट मे कहा है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 का दुनिया भर में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में करोड़ों श्रमिकों और उद्यमों पर तबाही लाने वाला असर पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की वजह से कामकाजी घंटों में भारी गिरावट जारी है. अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले लगभग एक अरब 60 करोड़ कामकाजी लोगों की क़रीब आधी संख्या में लोग अपनी आजीविका खोने के ख़तरे का सामना कर रहे हैं.

भारत में खेतों में काम करतीं कुछ महिला किसान.
UNEP India

भारत में बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव से बचने के उपाय

कोविड-19 महामारी से पूरे विश्व की पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिक प्रणालियों की कमज़ोरी सामने आ गई है. संकट अभी जारी है, जिससे ये स्पष्ट होता जा रहा है कि किस तरह अनगिनत आर्थिक, सामाजिक और संस्थागत कारक वैश्विक तापमान और मानव स्वास्थ्य जैसे पर्यावरण जोखिमों को बढ़ाते हैं. भारत दुनिया में सबसे अधिक आपदा-प्रवण देशों में से एक है, जिसमें हाइड्रोलॉजिकल (पानी से संबंधित) आपदाएँ सबसे ज़्यादा होती हैं, जो अनगिनत मौतों और संपत्ति के नुक़सान का कारण बनती है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) बांग्लादेश में कोविड-19 के बारे में सटीक जानकारी फैलाने के लिए वहाँ की सरकार के साथ काम कर रहा है.
UNDP Bangladesh/Fahad Kaizer

कोविड-19 के बारे में कुछ सवाल-जवाब

वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रकोप दुनिया भर में फैल गया है जिसके कारण बहुत सी भ्रान्तियाँ और उत्सुकताएँ भी जागी हैं. लेकिन इसकी रोकथाम और इलाज के बारे में अब भी बहुत से प्रश्न अनुत्तरित हैं. कुछ सवालों के जवाब न्यूयॉर्क सिटी स्थित एक डॉक्टर की ज़ुबानी... 

निजेर भी ऐसे देशों में है जहाँ खाद्य असुरक्षा व निम्न आय के हालात हैं. साथ ही वहाँ सूखा भी पड़ने से फ़सलों को भारी नुक़सान होता है.
WFP/Simon Pierre Diouf

कोविड-19 व जलवायु चुनौतियाँ: निडर और दूरगामी नेतृत्व की पुकार

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 और मानवता के अस्तित्व पर मंडराते जलवायु संकट से निपटने का एकमात्र विश्वसनीय रास्ता बहुपक्षवाद पर आधारित निडर, दूरगामी और सहयोगपूर्ण नेतृत्व में निहित है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित एक अंतरराष्ट्रीय चर्चा में यह बात कही है. यूएन प्रमुख ने ज़िंदगियों पर मंडराते ख़तरों, पंगु हो रहे व्यवसायों और क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं की पृष्ठभूमि में सचेत किया है कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए भी जोखिम पैदा हो गया है.