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यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (दाएं) ने महासभा के 78वें सत्र पहले यूएन न्यूज़ व मीडिया प्रभाग की उपनिदेशक मीता होसाली के साथ एक विशेष बातचीत की.

UNGA78: संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, नेताओं की उपस्थिति नहीं, कार्रवाई महत्वपूर्ण

UN Photo/Mark Garten
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (दाएं) ने महासभा के 78वें सत्र पहले यूएन न्यूज़ व मीडिया प्रभाग की उपनिदेशक मीता होसाली के साथ एक विशेष बातचीत की.

UNGA78: संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, नेताओं की उपस्थिति नहीं, कार्रवाई महत्वपूर्ण

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महसाचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में अनेक बड़े वैश्विक नेताओं के हिस्सा नहीं लेने के मुद्दे पर कहा है कि उन्हें परवाह नहीं है कि कौन नेतागण उपस्थित हैं, कौन नहीं, ज़रूरी ये है कि ख़ासतौर पर पिछड़ते टिकाऊ विकास लक्ष्यों में दोबारा जान फूँकने पर कार्रवाई सम्भव हो. 

यूएन न्यूज़: हम संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र की दहलीज़ पर बातचीत कर रहे हैं, जिसमें रिकॉर्ड स्तर पर विश्व नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है. लेकिन पी5 (सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य) से, केवल एक राष्ट्राध्यक्ष ही इसमें उपस्थित होंगे. जहाँ विश्व इतने मोर्चों पर संकट से जूझ रहा है, ऐसे समय में कूटनीति के एक केन्द्र के रूप में यह संयुक्त राष्ट्र के बारे में क्या दर्शाता है? 

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महासचिव: सबसे पहले तो यह कोई दम्भ-दिखावे का मेला नहीं है. यह एक राजनैतिक निकाय है, जहाँ सरकारों का प्रतिनिधित्व है. जो बात मायने रखती है वो यह कि देशों का प्रतिनिधित्व किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाए, जो उस क्षण को आगे बढ़कर लपक सके.

इसलिए, मुझे इस बात की फ़िक्र नहीं है कि कौन आ रहे हैं. मुझे चिन्ता यह सुनिश्चित करने की है कि जो देश यहाँ हैं... वे टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पूरा करने के संकल्प स्वीकार करें, जोकि, दुर्भाग्य से सही दिशा में नहीं जा रहे हैं.

पहले तो हमें यह स्वीकार करना होगा कि मौजूदा वैश्विक वित्तीय व्यवस्था अन्यायपूर्ण है, पुरानी पड़ चुकी है और सही से काम नहीं कर पा रही है, और इसमें सुधार की आवश्यकता है.

दूसरी बात, हमने एसडीजी के लिए एक नए स्फूर्ति पैकेज का प्रस्ताव रखा है.

इसके लिए हमें 500 अरब डॉलर की आवश्यकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जो विकासशील देश क़र्ज़ में डूबे हैं, जिनकी मध्यम आय वाले देश होने के कारण वित्तीय गुंजाइश, दीर्घकालिक वित्तपोषण या रियायती वित्तपोषण तक कोई पहुँच नहीं है, या फिर उन्होंने वह सम्भावना खो दी है, इसके ज़रिेए विकासशील देशों को वित्तीय समर्थन दिया जाए, ताकि वे 2030 एजेंडा को साकार कर सकें.

आज अफ़्रीका को शिक्षा से ज़्यादा क़र्ज़ चुकाने में धन ख़र्च करना पड़ रहा है. इससे स्पष्ट होता है कि हमें अन्यायपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय वैश्विक व्यवस्था में बदलाव लाने की कितनी सख़्त ज़रूरत है, जिससे एसडीजी का सपना साकार किया जा सके. 

इसके अलावा, यह स्थान, सभी देशों के एकजुट होकर शान्ति से सम्बन्धित वादों की ज़िम्मेदारी लेने का भी है. इस वक़्त हम वैश्विक स्तर पर अनगिनत संकटों का सामना कर रहे हैं. ऐसे में, हमें शान्ति स्थापना के लिए अन्तरारष्ट्रीय समुदाय से अधिक मज़बूत प्रतिबद्धता की आवश्यकता है.

फिर जलवायु महात्वाकांक्षा सम्मेलन भी है, जिसमें हम देशों, कम्पनियों, नागरिक समाज और अन्य सभी से कह रहे हैं कि आएँ, और अपनी नई परियोजनाएँ पेश करें. इसके लिए नए वादों की आवश्यकता होगी, जिससे वर्तमान में नियंत्रण से बाहर हो रहे जलवायु परिवर्तन के रुझान को पलटा जा सके. हम सदी के अन्त तक, 2.6-2.8 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान वृद्धि की राह पर हैं, इसलिए हमें 1.5 डिग्री सेल्सियस के अपने लक्ष्य पर वापस आना होगा. 

अभी भी समय है. राजनैतिक इच्छाशक्ति से यह अभी भी सम्भव है, लेकिन इस रुझान को उलटने के लिए, जीवाश्म ईंधन, नवूकरणीय ऊर्जा में निवेश और समाज व अर्थव्यवस्थाओं के कई अन्य क्षेत्रों में बहुत कुछ किया जाना होगा. हमें अपने चारों ओर बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं का मंज़र देख सकते हैं, जो अधिक विनाशकारी होती जा रही हैं. या फिर सूखे का प्रकोप, जिससे पूरे के पूरे इलाक़े मनुष्य के रहने लायक नहीं रहे हैं. हम समुद्री स्तर में वृद्धि से अंटार्कटिक और ग्रीनलैंड में हिमनद पिघलने की घटनाएँ देख रहे हैं.  

तो यह समय है, निर्णयात्मक कार्रवाई का, और यही इस जलवायु महात्वाकांक्षा सम्मेलन का लक्ष्य भी है, जिसके लिए सभी सदस्य देशो को मज़बूत संवाद करना होगा और नागरिक समाज को इसमें, पूरी शिद्दत के साथ भाग लेना होगा.

उच्च-स्तरीय सप्ताह से पहले के सप्ताहान्त के दौरान, संयुक्त राष्ट्र में व्यवसायिक समुदाय व नागरिक समाज का अभूतपूर्व जमावड़ा होगा, जो इस बात का संकेत है कि सरकारों से परे भी, एसडीजी हासिल करने, दुनिया में न्याय के शासन और जलवायु कार्रवाई के लिए, मज़बूत राजनैतिक इच्छाशक्ति मौजूद है.

यूएन न्यूज़: आपने जलवायु महत्वाकांक्षा सम्मेलन का ज़िक्र किया, बहुत ही असामान्य रूप से, इस सम्मेलन जिन देशों को बोलने के लिए आमंत्रित किया गया है, उनके पास पहले से ही विश्वसनीय ‘नैट ज़ीरो’ योजनाएँ मौजूद हैं. बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आपने यह नवीन दृष्टिकोण क्यों चुना?

महासाचिव: मेरा मानना है कि सभी अभियानों में व पहलों में सभी को हिस्सा  लेना चाहिए.

यह ज़रूरी है कि अग्रिम पक्तियों में काम कर रहे लोगों से लेकर, जलवायु कार्रवाई के लिए सर्वाधिक प्रतिबद्धता जताने वाले और सर्वोत्कृष्ट उदाहरण पेश करने वाले लोगों तक, सबको अवसर मिलने चाहिए. उन्हें अवसर मिलने चाहिए जिससे वो अपने कार्य प्रदर्शित कर सकें और अन्य लोगों उन उदाहरणों से सबक़ लेकर उसका लाभ उठा सकें.  

वर्ष 2022 में हुई, वैश्विक दक्षिण-दक्षिण विकास प्रदर्शनी के प्रतिभागी.
ESCAP Photo/Louise Lavaud

यूएन न्यूज़: विषय बदलें तो इस कार्रवाई भरे सप्ताह में, टिकाऊ विकास सम्मेलन की शुरुआत होनी है, फिर बुधवार को जलवायु महत्वाकांक्षा सम्मेलन होगा, वैश्विक स्वास्थ्य पर केन्द्रित तीन अन्य सम्मेलन भी हैं, तपेदिक. सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज व महामारी की तैयारी जैसे मुद्दों पर. 

कोविड-19 से निपटते समय हमने एकजुटता व समता की कमी महसूस की, जहाँ कई देशों को जीवनरक्षक मेडिकल उपकरणों से लेकर टीकों तक बहुत कम पहुँच हासिल थी. इसका भूराजनैतिक सम्बन्धों पर गहरा असर पड़ा. तो वैश्विक स्वास्थ्य के मोर्चे पर क्या-कुछ किए जाने की आवश्यकता है?

महासचिव: सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, संयुक्त राष्ट्र का एक अहम लक्ष्य है. इसके लिए न केवल हमारी प्रणालियों को सुचारू ढंग से काम करने की आवश्यकता है, बल्कि हमारी वित्तीय प्रणालियों को भी अधिक निष्पक्ष होना होगा. 

और बौद्धिक संपदा और फार्मास्युटिकल उद्योग के संचालन के तरीक़े से सम्बन्धित भी कुछ केन्द्रीय प्रश्न हैं, जिनका समाधान किया जाना ज़रूरी है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि फ़ार्मास्यूटिकल उत्पादों में 90 प्रतिशत निवेश, ज़्यादातर उन बीमारियों के लिए किया जाता है, जो उत्तरी क्षेत्र से सम्बन्ध रखती हैं. वहीं, दक्षिण की बीमारियों के लिए केवल 10 प्रतिशत निवेश ही किया जाता है.

इसलिए प्रणालियों के काम करने के तरीक़े में बुनियादी ढाँचागत असमानताएँ मौजूद हैं. साथ ही मेरा मानना ​​है अनिवार्य रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन के संसाधनों और ताक़त बढ़ाना बेहद ज़रूरी है.

महामारी के अनुभव के लिए यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि सभी निर्णय लेने, जानकारी देने व साझा करने या फिर अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई के समन्वय व महामारी से निपटने की जवाबी कार्रवाई के साथ-साथ, दुनिया की सबसे गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं के हल में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की अधिक प्रभावी भूमिका होनी चाहिए. 

तपेदिक बीमारी, जिसे कई लोग भूल चुके हैं, अभी भी इस दुनिया में पीड़ा का एक बहुत ही गम्भीर स्रोत बनी हुई है.

यूएन न्यूज़: अब आपने कुछ बेहद विशाल चुनौतियों के बारे में बात की है जिनका सामना करना ज़रूरी है, लेकिन मुझे लगता है कि हम सभी जानते हैं कि इस महासभा सत्र पर यूक्रेन युद्ध का साया मंडराने वाला है, और संयुक्त राष्ट्र इसके लिए कूटनीति का एक उम्दा मंच भी है. आप शान्ति स्थापना के लिए वार्ता की सम्भावना को किस तरह देखते हैं? और क्या आपको काला सागर पहल को पुनर्जीवित करने की कोई उम्मीद दिखती है, जिससे दुनिया भर के लाखों लोगों को राहत मिली थी.

महासचिव: हम इसे सम्भव करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. हम यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि वैश्विक बाज़ारों को यूक्रेनी एवं रूसी भोजन तथा उर्वरकों तक पूरी पहुँच हासिल हो. यह बहुत आवश्यक है, लेकिन हम काला सागर पहल में रूसी भागीदारी की समाप्ति के बाद उत्पन्न वर्तमान नाटकीय स्थिति के कारण, आने वाली बाधाओं को कम करके नहीं आँक रहे. 

केन्द्रीय लक्ष्य शान्ति है, लेकिन शान्ति न्यायोचित होना चाहिए और शान्ति स्थापना, यूएन चार्टर व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तरगत होनी चाहिए.

ईमानदारी से कहूँ तो मुझे नहीं लगता कि इस महासभा में शान्ति स्थापना पर किसी गम्भीर बातचीत की स्थिति है. मेरे ख़याल से सभी पक्ष अभी उस सम्भावना से बहुत दूर है. 

हम यूक्रेन में शान्ति लाने के अपने प्रयास कभी नहीं छोड़ेंगे. चार्टर व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुरूप, न्यासंगत शान्ति. 

क्योंकि यूक्रेन में जारी युद्ध, भूराजैनतिक तनाव बढ़ाने का एक बड़ा कारक है और इन भूराजैनतिक तनावों के कारण हम वर्तमान दौर की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुक़ाबला नहीं कर पा रहे हैं. जैसेकि जलवायु परिवर्तन, और नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से व्यवधानों का ख़तरा, जिसके लिए अभी कोई उपयुक्त वैश्विक शासकीय व्यवस्था मौजूद नहीं है. 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) ऐसा ही एक मसला है. इससे मानवता को अनगिनत लाभ हो सकते हैं. लेकिन इसके कई जोखिम भी हैं, जिनसे निपटना बेहद ज़रूरी है.

अफ़सोस की बात है कि वर्तमान में, विश्व इन चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट नहीं है और इसलिए यह बेहद आवश्यक है कि यूक्रेन युद्ध समाप्त हो क्योंकि इससे दुनिया के एकजुट होने की क्षमता प्रभावित हो रही है.

युद्ध क्षेत्र से लगभग 15 किलोमीटर दूर, यूक्रेन के खेरसॉन के पास एक छोटे से गाँव में नौका द्वारा भोजन एवं पीने का पानी पहुँचाया जा रहा है.
© UNOCHA/Saviano Abreu

यूएन न्यूज़: यहाँ आने वाले वैश्विक नेताओं के अलावा, नागरिक समाज, व्यवसायों, अकादमिक जगत, विज्ञान समुदाय के लोग और युवजन भी इसमें शामिल होंगे. इन सभी के लिए आपका क्या सन्देश रहेगा?  

महासचिव: मेरे विचार से, अगर इस महासभा को मन्थन करना है कि वो सामाजिक व वैश्विक स्तर पर किस तरह के समाज का निर्माण करना चाहता है, तो इसमें नागरिक समाज, व्यवसायियों, विज्ञान से जुड़े पुरूष व महिलाओं, युवजन और महिला संगठनों की मौजूदगी बेहद अहम है.

हालाँकि कभी-कभी सरकारें, समाज की इच्छानुसार कार्य नहीं करतीं, लेकिन समाज हमेशा शन्ति चाहते हैं, न्याय चाहते हैं, टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं. समस्त समाज, समस्याओं को मानवता के लिए सामूहिक डरावना सपना बनने से बचाने के लिए, प्रभावी नीतियाँ लागू करने के इच्छुक रहते हैं.